जिला मुख्यालय से महज 4 किमी दूर ग्राम पंचायत दसपुर में बीती रात एक सेवानिवृत्त पुलिस विभाग के कर्मचारी सराधु राम साहू की लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। साहू के दो बेटे भी थे। उनका भरा पूरा परिवार था। दोनों बेटे व बेटी का विवाह भी कर दिया। लेकिन इस दौरान बीमारी के चलते पहले बड़े बेटे का निधन हो गया। कुछ वर्षों बाद छोटे बेटे का भी निधन हो गया। अब माता पिता को सहारा देने के लिए कोई नहीं था। बड़ी बहू ने घर संभाला और बेटे का फर्ज निभाते उनकी सेवा किया।
बेटी ने किया अंतिम संस्कार दो साल पहले बीमारी के चलते वे बिस्तर पकड़ लिए, अंत में 75 वर्ष की उम्र में रात में निधन हो गया। बेटे नहीं तो समाज के सामने सवाल खड़ा हुआ कि चिता को मुखाग्नि कौन देगा। इस समय बेटी सविता सोन निवासी फरसियां नातिन ममता साहू और नाती किशन साहू इस रस्म को निभाने के लिए सामने आई। उन्होंने न सिर्फ अपने पिता को कंधा दिया बल्कि महानदी तट पर बने श्मशान घाट में समाज व परिजनों की उपिस्थति में अंतिम संस्कार की रस्म निभाते हुए मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।
रूढ़ीवादी परंपरा को छोड़ सभी कर्मों को निभाने अब बेटियां आ रहीं आगेे इस दौरान बेटी सविता सोन ने बताया कि पहले का समय और था जब रूढ़ीवादी परंपरा के चलते बेटियों को चिता में आग लगाने की इजाजत नहीं थी। समाज की रूढ़ीवादी परंपरा टूट रही है, जिस घर में बेटे नहीं है, वहां पर बेटियां अपने माता पिता को न सिर्फ कंधा दे रहीं है। अंतिम संस्कार की इस कार्यक्रम में साहू समाज व बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। ग्राम पंचायत दसपुर में यह पहला मामला था जब किसी बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।