CG Liquor: पिछली सरकार ने नियम बदलकर एफएल-10 कर दिया लागू
आबकारी विभाग ने दावा किया था कि 11 सितंबर से
छत्तीसगढ़ के शराब दुकानों में सभी ब्रांड्स शराब मिलनी शुरु हो जाएगी। आबकारी विभाग पिछली सरकार ने नियम बदलकर एफएल-10 लागू कर दिया है। इससे पहले लायसेंसी सिस्टम के दौरान बड़े बीयर बार में तो कुछ ब्रांड मिल जाते थे। लेकिन सरकारी दुकानों में नहीं मिलता था। बीयर में सिर्फ एक लोकल कंपनी सिबा उपलब्ध होती थी और लोगों को मजबूरन पीना पड़ता था।
छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद जुलाई से लायसेंसी सिस्टम समाप्त कर फिर से पुरानी व्यवस्था कायम की गई थी। इसके तहत ब्रेवरेज कारपोरेशन ने शराब खरीदी का काम प्रारंभ किया है। विभाग का दावा था कि छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित व्यवस्था के लागू होने से यूरोप के बड़े देशों में बिकने वाली विदेशी शराब भी आसानी से सरकारी शराब दुकानों में मिल पाएगी। कुछ माह पहले हुई बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि मदिरा दुकानों में निर्धारित दर से अधिक दर पर मदिरा का विक्रय न हो और मदिरा में किसी भी प्रकार की मिलावट न हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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आबकारी विभाग ने बीते दिनों विभाग की बैठक में एण्ड्राइड मोबाइल बेस्ड एप्लीकेशन ‘मनपसंद’ लॉन्च किया गया। इस मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से ग्राहक मदिरा दुकानों में मदिरा की उपलब्धता के ब्राण्ड-लेबल, दुकान, कीमत अनुसार उपलब्ध सर्च ऑप्शन से ऑनलाइन जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इस एप के माध्यम से ग्राहक मदिरा दुकान में अपनी पसंद की ब्राण्ड उपलब्ध न होने पर उसकी सुनिश्चित करने की जानकारी भी विभाग को दे सकेंगे। एप के माध्यम से मदिराप्रेमी चारामा की शराब दुकान से शराब मांगने पर सेल्समैन व्दारा उपलब्ध नहीं होने की बात कही जाती है।
रसूखदारों और नेताओं के लिए ब्रांडेड शराब का स्टॉक
CG Liquor: अंग्रेजी शराब दुकान में ब्रांडेड शराब व बीयर उपलब्ध होने के बाद भी
मदिरा प्रेमियों को अन्य शराब या बीयर मजबूरन लेना पड़ रहा है। यहां पर सेल्समैन द्वारा ब्रांडेड शराब व बीयर मांगे जाने पर नहीं होना बताया जाता है। जबकि आनलाईन चेक करने पर वह शराब उपलब्ध होती है। बताया जा रहा है कि सरकारी शराब दुकान में रसूखदारों और नेताओं के लिए ब्रांडेड शराब का स्टाक रखा जाता है।
वहीं कई नेताओं को ब्रांडेड शराब मुत में भी दिया जाता है। कई बार मदिराप्रेमियों और शराब दुकान वालों के साथ मिलावटी शराब के नाम पर अनबन भी होते रहती है। मामले में आबकारी विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। देखा जाए तो मदिराप्रेमियों में लगातार सरकार की किरकिरी होते देखी जा सकती है।