सेवानिवृत्त कैप्टन जबरसिंह ने पत्रिका को बताया कि मार्च 2008 में आरपीटीसी में प्रशिक्षण लेने वाले जवानों को ग्रीष्मकाल में होने वाली परेशानी को देखते हुए वीर चक्र प्राप्त सेवानिवृत्त वर्षीय मेजर दलवीरसिंह (70) ने क्षेत्र को हरा भरा करने का बीड़ा उठाया और खुद ही जुट गए। नीम, खेजड़ी, पीपल व कनेर समेत कई प्रजातियों के पेड़ों का बच्चों की तरह पालन पोषण करने वाले मेजर सिंह जब तक पेड़ों की देखभाल नहीं कर लेते तब तक भोजन नहीं करते।
गर्मी में लेते है टैंकर का सहारा भीषण गर्मी में नीम, खेजड़ी, पीपल व कनेर समेत कई प्रजातियों के पेड़ों को पानी पिलाने के लिए पानी के एक टैंकर की व्यवस्था की गई है। बारिश के दौरान पहाडिय़ों से आने वाले पानी के संग्रहण के लिए सात अस्थाई कुण्ड बनाए गए हैं।