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जोधपुर

सर्दी चमकी तो खीचन में मेहमान परिंदो की संख्या में होने लगा इजाफा

प्रवासी पक्षी कुरजा (डेमोसाइल क्रेन) को शीतकालीन प्रवास के लिए फलोदी उपखण्ड के खीचन गांव की आबोहवा इस कदर रास आ गई है कि वे हर साल देश-विदेश की सीमाएं लांघकर हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर यहां तक आ पहुंचते हैं। इन दिनों सर्दी की दस्तक के साथ ही करीब 15 हजार मेहमान परिंदों ने खीचन में पड़ाव डाल दिया है।
 
 

जोधपुरDec 01, 2020 / 01:27 am

pawan pareek

सर्दी चमकी तो खीचन में मेहमान परिंदो की संख्या में होने लगा इजाफा

सर्दी चमकी तो खीचन में मेहमान परिंदो की संख्या में होने लगा इजाफा

फलोदी (जोधपुर). प्रवासी पक्षी कुरजा (डेमोसाइल क्रेन) को शीतकालीन प्रवास के लिए फलोदी उपखण्ड के खीचन गांव की आबोहवा इस कदर रास आ गई है कि वे हर साल देश-विदेश की सीमाएं लांघकर हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर यहां तक आ पहुंचते हैं।
इन दिनों सर्दी की दस्तक के साथ ही करीब 15 हजार मेहमान परिंदों ने खीचन में पड़ाव डाल दिया है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ रही है वैसे-वैसे मेहमान परिंदों की संख्या का ग्राफ भी ऊंचाई को छू रहा है।
प्रवासी पक्षी डेमोसाइल क्रेन जिसे स्थानीय भाषा में कुरजा नाम से जाना-पहचाना जाता है वे हर साल शीतकालीन प्रवास के लिए हजारों की तादाद में फलोदी के खीचन गांव तक आ पहुंचते हैं। इनका आगमन सितम्बर माह से शुरू हो जाता है और दिसम्बर-जनवरी माह तक अधिकतम संख्या में पहुंचकर गर्मी की दस्तक के साथ ही मार्च माह में वापसी की उड़ान भर जाते हैं।

कोरोना ने सैलानियों की आवक पर लगाया लॉक

खीचन गांव में प्रवासी पक्षी कुरजा की दस्तक के साथ ही उनकी अठखेलियों की निहारने हर साल देशी-विदेशी सैलानियों की आवाजाही शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार वैश्विक कोरोना महामारी के चलते सैलानियों की आवक नगण्य है। इससे पर्यटन से जुड़े लोग भी मंदी की मार झेल रहे हैं।

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