आपसी सहयोग से हुआ उद्यान का निर्माण
नाडी के किनारे यह भूमि खाली पड़ी थी। आपस में चर्चा कर यहां उद्यान बनाने का काम शुरू किया। घास उगाने के लिए अच्छी मिट्टी डलवाई। चारदीवारी करवाई। लोगों के बैठने के लिए बैंचे लगवाई तथा उस पर कलर भी हम लोगों ने ही किया। अब यहां घास भी उग चुकी है। रोजाना सैकड़ों लोग सुबह-शाम यहां घूमने आते है। अब हम यहां लेट-बॉथ, एक खुला हॉल बनाने का काम करेंगे।
– बलवीर भाटी, रामतलाई टीम संयोजक
रोजाना सुबह-शाम यहां आना अब ड्यूटी हो गई
सभी क्षेत्रवासियों ने मिलकर काम किया तब जाकर यह उद्यान बना। किसी ने आर्थिक सहयोग किया तो कोई रोजाना सुबह-शाम यहां लगाए गए पौधों को पानी पिलाने आ रहा है। हर कोई यथा संभव सहयोग कर रहा है।
– प्रभाकर तिवाड़ी, रामतलाई
अब यहां मंदिर का करवाएंगे निर्माण
पत्रिका की प्रेरणा से हमनें पूर्व में राम तलाई नाडी जो गंदगी से अटी थी उसकी सूरत सुधार कर उसे नाडी का रूप दिया। जिससे वहां हो रहे अतिक्रमण भी रूक गए। पत्रिका की प्रेरणा से ही इस भूमि को उद्यान बनाने का बीड़ा हमने उठाया। आज इस उद्यान में सभी लोग सुबह-शाम घूमने आते है। यहां शिव मंदिर का निर्माण करवाने का भी प्लान है।
– रणछोड़सिंह परिहार, रामतलाई