न्यायाधीश एमआर शाह तथा न्यायाधीश बीवी नागरथन की खंडपीठ में जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी ने राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के 13 अगस्त, 2021 के आदेश को विशेष अनुमति याचिकाएं दायर करते हुए चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यूनिवर्सिटी की विशेष अपीलों को खारिज करते हुए एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा था। एकल पीठ ने 15 से लेकर 30 सालों तक संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति प्रदान करने के आदेश जारी किए थे। संविदा कर्मचारियों की ओर से कहा गया था कि एकल पीठ के फैसले के बाद कुछ कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया, जबकि अधिकांश के खिलाफ अपीलें दायर की गई। खंडपीठ ने पाया कि कुछ कर्मचारी 1991 से कार्यरत हैं और उनकी सेवाएं संतोषजनक हैं, लेकिन इसके बावजूद यूनिवर्सिटी उन्हें नियमित नहीं कर रही। खंडपीठ ने यूनिवर्सिटी, राज्य सरकार तथा संविदा कर्मचारियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं की सुनवाई के पश्चात कहा था कि एकल पीठ के निर्णय में कोई और असंगतता प्रतीत नहीं होती।
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि आक्षेपित निर्णय में हाईकोर्ट ने परिणामी लाभ के साथ संविदा कर्मचारियों की सेवाएं नियमित करने के आदेश दिए हैं। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए नियमितीकरण करने वाले आक्षेपित निर्णय और आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। हालाँकि, शीर्ष कोर्ट ने परिलाभों को लेकर सीमित बिंदु पर नोटिस जारी किए थे। अप्रार्थी कर्मचारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ विनीत कोठारी ने पैरवी की।