धनखड़ ने कहा कि एक सशक्त स्वतंत्र न्यायपालिका को पोषित करने के बावजूद आपातकाल का दुखद अपवाद हम कभी नहीं भूल सकते। हम न्यायपालिका के एक अत्यंत प्रतिष्ठित संस्थान का हिस्सा हैं, लेकिन उस समय नागरिकों के मूल अधिकारों का मजबूत किला, सुप्रीम कोर्ट, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही शासन के आगे झुक गया था।
ऐसे में किसी भी देशवासी को उस काले दौर को नहीं भूलना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि जब तक आपातकाल रहेगा, कोई भी अपने अधिकारों को लागू करवाने के लिए किसी भी अदालत में नहीं जा सकता। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसा करते समय सुप्रीम कोर्ट ने देश के नौ हाईकोर्ट के फैसलों को पलट दिया था, जिनमें एक निर्णय राजस्थान हाईकोर्ट का भी था। धनखड़ ने कहा कि मुझे इस संस्था का हिस्सा होने पर गर्व है।
इन्होंने भी किया संबोधित
सेमिनार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, न्यायाधीश संदीप मेहता, राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, बार कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष भुवनेश शर्मा सहित अन्य अतिथियों ने संबोधित किया