scriptआसाराम को सजा दिलवाने में है इस पुलिस अफसर का हाथ, पीडि़त पक्ष को दिलावाया न्याय | SP ajay pal lamba investigated asaram rape case | Patrika News
जोधपुर

आसाराम को सजा दिलवाने में है इस पुलिस अफसर का हाथ, पीडि़त पक्ष को दिलावाया न्याय

एसीबी एसपी रहने के बाद भी ढाई साल तक की केस की प्रतिदिन मॉनिटरिंग

जोधपुरApr 26, 2018 / 10:26 am

Harshwardhan bhati

inspiring story of SP ajay pal lamba

SP Ajaypal Lamba, ajaypal lamba, Asaram, asaram rape case, asaram verdict, asaram in jodhpur court, jodhpur news

विकास चौधरी/जोधपुर. आसाराम के खिलाफ वारदात के पांचवें दिन 20 अगस्त 2013 को दिल्ली के कमला मार्केट थाने में बिना नंबर की एफआईआर दर्ज हुई थी। एफआईआर के जोधपुर पहुंचने पर 21 अगस्त 2013 की शाम महिला थाना पश्चिम में मामला दर्ज किया गया था। उसी रात मैंने मणाई आश्रम में पीडि़ता के साथ वारदात स्थल का निरीक्षण किया। वारदात को छह दिन बीत जाने से मौके पर साक्ष्य मिटाए जा चुके थे। ऐसे मामलों में मौके के साक्ष्य महत्वपूर्ण होते हैं। पीडि़ता से वारदात का रिक्रिएशन कर साक्ष्य जुटाए गए थे।
यह कहना है कि आसाराम को एफआईआर दर्ज होने के 11वें दिन गिरफ्तार कर जेल भिजवाने में महत्वपूर्ण निभाने वाले तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) अजयपाल लाम्बा बोले, अदालत के फैसले को ऐहतिहासिक है। कानून की पालना करने वाले निष्पक्ष व निर्भीक होकर कार्य करें तो कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी शक्तिशाली व्यक्ति से न सिर्फ टक्कर ले सकता है, बल्कि उसे हरा भी सकता है।

बकौल, पुलिस अधीक्षक (एसीबी) लाम्बा साढ़े चार साल पहले आसाराम के प्रभुत्व व वर्चस्व के सामने पीडि़ता और उसके माता-पिता बहुत कमजोर थे, लेकिन सच्चाई के लिए अडिग रहे। कानून की पालना करने वालों ने भी निष्पक्ष व निर्भीक होकर कार्य किया। ढाई साल से एसीबी में एसपी होने के बावजूद वे प्रतिदिन मामले की मॉनिटरिंग करते रहे। कोर्ट में सुनवाई से पहले हर पहलू बात करते और योजना बनाते थे। शिवा व प्रकाश के बरी होने की पहले से आशंका थी। इनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे।
एफआईआर से गिरफ्तारी व सजा तक शांति बनी मिसाल


लाम्बा ने कहा, आसाराम के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से लेकर इंदौर के आश्रम से गिरफ्तारी, उसे जोधपुर लाने व जेल भेजे जाने तक कानून व्यवस्था को आंच तक नहीं आई। कड़े बंदोबस्त के चलते सजा वाले दिन भी पूरी तरह शांति रही। जो अन्य राज्यों के लिए मिसाल होनी चाहिए।
अंध विश्वास व भावनाओं पर अंकुश लगेगा


आसाराम का ताउम्र जेल की सजा समाज के लिए संदेश है। अंधी भावनाओं के प्रति आस्था पर अंकुश लगेगा। पुलिस के प्रति आमजन में विश्वास और बढ़ेगा।
इन चुनौतियों से हुआ सामना


– आरोप साबित करने के लिए सिर्फ पीडि़ता के बयान ही थे।

– एफआईआर दर्ज की गई तब आसाराम का वर्चस्व था। गिरफ्तारी चुनौतीपूर्ण थी। इंदौर के आश्रम से शांतिपूर्ण तरीके से पकड़कर लाना महत्वपूर्ण रहा।

– कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस के प्रयास सेगवाहों को अपने बयान पर कायम रखा गया था। आरोपी पक्ष गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा था।

– आसाराम के सामने पीडि़त पक्ष कमजोर था। उसने धुरंधर से धुरंधर वकील खड़े किए, जो सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करते हैं।

– एफआईआर के बाद जांच से जुड़े अधिकारियों व जवानों को धमकियां मिलती रही। प्रलोभन भी दिए गए थे। तत्कालीन डीसीपी लाम्बा को भी अज्ञात पोस्टकार्ड से धमकियां दी गई।

Hindi News/ Jodhpur / आसाराम को सजा दिलवाने में है इस पुलिस अफसर का हाथ, पीडि़त पक्ष को दिलावाया न्याय

ट्रेंडिंग वीडियो