श्रद्धालु भक्तजन घर में होने वाले प्रत्येक वैवाहिक कार्य का प्रथम निमंत्रण प्रथम पूज्य रातानाडा गणेशजी को देने पहुंचते हैं। शुभ दिन व मुहूर्त में मंदिर में विधिवत मिट्टी के मांडणेयुक्त एक पात्र में गणेशजी को प्रतीकात्मक मूर्ति के रूप में स्थापित कर गाजे-बाजों के साथ विवाह होने वाले व्यक्ति के घर पर लाया जाता है और विवाह कार्य पूर्ण होने के बाद पुन: आभार सहित गणपति की प्रतीकात्मक मूर्ति को मंदिर पहुंचाया जाता है।
लगाई जाती है धोक व जात नवीन वाहन का पूजन और विवाह के बाद ‘धोक’ और ‘जात’ देने भी बड़ी संख्या में लोग रातानाडा गणेश मंदिर आते हैं। शहर के युवाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय देव विनायक की मूर्ति की छवि अद्भुत है। देवस्थान विभाग के राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार वाले गणेश मंदिर में प्रतिमा को जिस कोण से दर्शन करते है गणेश के अद्वितीय रूप नजर आते हैं। मंदिर में गणेश के साथ रिद्धि-सिद्धि की सुंदर प्रतिमाएं स्थापित हैं। प्रत्येक बुधवार को मंदिर आने वाले दर्शनार्थियों में सर्वाधिक संख्या युवा वर्ग की होती है।
500 साल पहले प्रकट हुई मूर्ति ऐसा कहा जाता है कि करीब पांच सौ साल पहले प्राकृतिक चट्टान में गणेश मूर्ति का प्राकट्य हुआ था। बाद में विक्रम संवत 1857 में पहाड़ी पर एक छोटा मंदिर बनाया गया। हर तीर्थ यात्रा के सफर का आगाज रातानाडा गणेश मंदिर दर्शन से ही करने की परम्परा है। जोधपुर में प्रत्येक तीसरे साल पुरुषोत्तम मास में होने वाली भोगिशैल परिक्रमा में मारवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों से दर्शनार्थी पहुंचते है। मारवाड़ के प्रमुख मेलों में रातानाडा गणेश मेला भी अपना विशिष्ट स्थान रखता है।