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जोधपुर

Jaswant Sagar Dam: राजस्थान में यहां 44 दरवाजों से फूटी जलधारा, नजारा देखने उमड़े लोग

Jaswant Sagar Dam: बजरी माफिया के हथौड़े चलने से बहाव क्षेत्र में पानी की रफ्तार धीमी, जलराशि बधावणा के लिए पहुंचे ग्रामीण

जोधपुरSep 16, 2024 / 09:35 am

Rakesh Mishra

Jaswant Sagar Dam
Jaswant Sagar Dam: अरावली की पहाड़ियों से निकली जलराशि विभिन्न नदी-नालों और बाळों का पानी अपने में मिलाते हुए जोधपुर जिले के सबसे बड़े जसवंत सागर बांध को लबालब कर गंतव्य की ओर बढ़ने लगी है। रविवार को बांध के 44 द्वार से चादर चली तो देखने के लिए क्षेत्रवासी उमड़ पड़े। दरवाजों से निकलकर पानी बांध के आसपास के तालाब और झील को भरते हुए चार किलोमीटर दूर लूणी पुल को पार कर गया। यहां पर पहले से मौजूद आसपास के गांवों से पहुंचे लोगों ने जलराशि का बधावणा किया।
जल राशि अपने अंतिम छोर कच्छ के रन तक पहुंच कर वहां के दलदल में समाहित हो जाएगी। मरुगंगा के रूप में मानी जाने वाली लूणी नदी को लवणवती भी कहा जाता है। यह नदी दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में बहती हुई कच्छ के रण में मिल जाती है। इस नदी की लंबाई 495 किलोमीटर है। उद्गम स्थल से निकली जल राशि को सागरमति का नाम दिया गया।
इसके बाद गोविंदगढ़ के पास पुष्कर से आने वाली सरस्वती नदी के साथ यह जल राशि मिल जाती है। नागौर और पाली जिले को छूते हुए जोधपुर जिले के झाक ओर कालाउना नदियों में वेग पकड़ते हुए जसवंतसागर सागर बांध को भरती है। इस मरुगंगा की खासियत यह है कि इस नदी का पानी बालोतरा तक मीठा रहता है। उसके बाद ज्यों-ज्यों नदी आगे बढ़ती है। त्यों-त्यों जल राशि में लवणीयता घुलने से पानी खारा हो जाता है।

देखते ही बनती है किसानों की खुशी

वर्ष 2007 में भले ही जसवंत सागर बांध लबालब भर चुका था, लेकिन बांध की पाळ का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाने से पानी व्यर्थ ही बह गया। ऐसे में क्षेत्र के भू-जल स्तर पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा और दिनों दिन जल स्तर गिरता ही गया। जमीन खेती योग्य भी नहीं रही। अब जब बांध लबालब भर चुका है और कई दिनों तक चादर चलेगी। इस आशा से किसान प्रफुल्लित हैं।

बजरी माफिया ने नदी को कर दिया छलनी

बांध पर चादर चलने के 36 घंटे होने के बावजूद जल राशि बहुत धीमी गति से लूणी नदी की ओर बढ़ रही है। बजरी माफियाओं ने नदी क्षेत्र में बजरी दोहन के दौरान बड़े-बड़े गड्ढे गहराई तक कर डाले हैं। एक तरह से नदी को छलनी ही कर डाला। यही वजह है कि पानी के आगे बढ़ने की गति बहुत धीमी है।

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