चार दिन पहले परिवार वाले उसे अहमदाबाद ले गए थे। अहमदाबाद से ही सैंपल पुणे लैब भेजा गया, जहां कांगो फीवर की पुष्टि हुई है। गौरतलब है कि साल 2019 में जोधपुर शहर में कांगो फीवर से दो मरीजों की मौत हो गई थी। वहीं मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है।
क्या है कांगो फीवर
आपको बता दें कि कांगो फीवर विषाणु जनित रोग है। दरअसल यह बीमारी हिमोरल नामक परजीवी से फैलती है, जो कि घर पर पाले जाने वाले पशुओं की चमड़ी पर पाया जाता है। इसलिए गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि से संपर्क में रहने वाले लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। खासतौर पर यह वायरस पश्चिमी और पूर्वी अफ्रीका में पाया जाता है। क्रीमिया देश में 1944 में पहली बार इसकी पुष्टि हुई थी, फिर 1969 में कांगो में इस रोग का पहला मरीज सामने आया था। कांगो फीवर जानलेवा बीमारी है, क्योंकि इस तरह के संक्रमण के 30 से 80 प्रतिशत मामलों में मरीज की मौत हो जाती है। इस वायरस की चपेट में आने पर मरीज को तेज बुखार आता है। इसके साथ ही आंखों में जलन, रोशनी से डर, चक्कर और मांशपेशियों में तेज दर्द होता है। इसके अलावा मरीज की पीठ में दर्द, उल्टी और गला बैठ जाने जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं। संक्रमण के दौरान खून में तेजी से प्लेटलेट्स घटने लगते हैं।