जेल परिसर में ही उद्योगशाला यानि जेल फैक्ट्री है। मुख्य जेल से चार सौ मीटर की दूरी है। सश्रम वाले कैदी कड़ी सुरक्षा में सुबह वहां ले जाए जाते हैं और शाम को वापस मुख्य जेल लाए जाते हैं। उद्योगशाला के पास ही बाहर सड़कें निकल रही हैं। जेल प्रशासन को अंदेशा है कि वहां से कुछ आपत्तिजनक सामग्री दीवार से अंदर फेंकी जाती है।
जेल में सजा काटने वाले कैदियों से ही उद्योगशाला में कार्य करवाया जाता है। कठोर कारावास से दण्डित कैदियों से भी उद्योगशाला में विभिन्न प्रकार के परिश्रम वाले काम करवाए जाते हैं। बदले में कैदियों को पारिश्रमिक भी दिया जाता है। अमूमन ८० से ९० श्रमिक प्रतिदिन उद्योगशाला में परिश्रम करने जाते हैं।
जेल अधीक्षक कैलाश त्रिवेदी का कहना है कि नाबालिग से कुकर्म करने वाले देवाराम व बलात्कार के आरोपी रईस उर्फ रशीद उर्फ रोशन के शरीर से मोबाइल और हीटर की स्प्रिंगें मिलने के बाद जांच में सख्ती की गई है। उद्योगशाला में सिर्फ अति आवश्यक कार्य या उत्पादन से जुड़े कैदियों को ही भेजा जा रहा है।