scriptPM मोदी की “भारत की बात सबके साथ” शॉर्ट फिल्म में जोधपुर की आवाज़ | PM Modi' bharat ki baat sabke saath documentary and Jodhpur's voice | Patrika News
जोधपुर

PM मोदी की “भारत की बात सबके साथ” शॉर्ट फिल्म में जोधपुर की आवाज़

जोधपुर. लंदन में बुधवार रात आयोजित ‘भारत की बात, सबके साथÓ कार्यक्रम में दिखाई गई शॉर्ट फिल्म में जोधपुर की आवाज गूंजी।

जोधपुरApr 20, 2018 / 01:28 am

M I Zahir

PM Modi's'Bharat ki baat sabke saath' documentary

PM Modi’s’Bharat ki baat sabke saath’ documentary

जोधपुर . लंदन में बुधवार रात आयोजित ‘भारत की बात, सबके साथÓ कार्यक्रम में दिखाई गई शॉर्ट फिल्म में जोधपुर की आवाज गूंजी। शॉर्ट फिल्म मेें आकाशवाणी जोधपुर के वरिष्ठ उदघोषक जफ़ऱ खान सिन्धी ने आवाज दी है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परिचय इसी शॉर्ट फिल्म के जरिए दर्शकों को करवाया गया। साथ ही बदलते भारत की तस्वीर दुनिया के सामने रखी गई। कार्यक्रम लंदन के सेन्ट्रल हॉल वेस्टमिन्स्टर में हुआ। कार्यक्रम का लाइव प्रसारण कई देशों में किया गया।
एक लोकप्रिय आवाज़

आवाज़ की दुनिया में खू़बसूरत आवाज़, शु्द्ध उच्चारण और जरूरत के अनुरूप पॉज़ देने का बहुत बड़ा रोल है। कल तक केवल रेडियो ही एक ऐसा माध्यम था, जिसमें उदघोषक का अहम रोल होता था, फिर इसमें ऑडियो के साथ वीडियो एन्करिंग और मंच संचालन भी जुड़ गए। इनमें एक लोकप्रिय आवाज़ भी है, जिसे लोग जफ़ऱ खान सिन्धी के नाम से जानते हैं। जफ़ऱ खान सिन्धी का जन्म 4 दिसंबर 1965 को जोधपुर में हुआ। देश में आवाज की दुनिया में जो ख्याति अमीन सयानी को हासिल है वो राजस्थान में जफ़र खान सिन्धी को प्राप्त है। उर्दू में लखनवी अंदाज़, हिन्दी में लचक, राजस्थानी में दिलकश अदा और शोखी के साथ संचालन उनकी आवाज़ की खृूबी है। आम तौर पर गायन के लिए खनकती या पुरकशिश आवाज़ शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन जफ़ऱ खान सिन्धी की आवाज़ पर भी ये लफ्ज़ सटीक बैठते हैं। वरिष्ठ उदघोषक जफ़ऱ खान सिन्धी से बातचीत के मुख्य अंश:
पत्रिका- आपको एन्करिंग का शौक़ कैसे हुआ?
जफ़ऱ खान सिन्धी – स्कूली दोस्तों ने चढ़ाया कि मुम्बई चले जाओ तुम्हारी आवाज़ में दम है। बस इसी ख़ुशफहमी में यहाँ तक का सफ़ र तय कर लिया। अब घिसते घिसते तो पत्थर भी गोल हो जाते हैं।
पत्रिका- क्या लाइव प्रोग्राम के दौरान भाषा और वाक्य विन्यास गड़बड़ा जाते हैं?
जफ़ऱ खान सिन्धी – हां, लाइव प्रोग्राम में रिस्क रहती है ख़ासकर फ़ ोन इन प्रोग्राम पेजेंट करते वक़्त तो यह होता है, वरना लाइव में सुनने वालों का जो रिस्पॉन्स मिलता है, स्टूडियो एन्ड में वह मज़ा कहाँ..
पत्रिका- आप शाइर रहे हैं, मुशायरे भी पढ़े हैं और मुशाइरे करवाए भी हैं, बाद में क्या हुआ?
जफ़ऱ खान सिन्धी – वोह शुरुआती दौर का शौक़ था, जि़न्दगी की ज़रूरियात ने शौक़ को एन्करिंग में तब्दील करवा दिया। मुझे लगा कि शाइरी से दिल की प्यास तो बुझ जाती, पर जि़म्मेदारियों के एहसास और अलग मक़ाम हासिल करने के जुनून ने रुख़ बदल दिया।

पत्रिका- चेहरा फोटोजेनिक और भी अच्छी है, फिर रेडियो को ही ज्यादा तवज्जो क्यों?
जफ़ऱ खान सिन्धी- मैंने रेडियो ज्वाइन करने से पहले ज़ी टीवी के एक साप्ताहिक कार्यक्रम घूमता आईना के 13 एपिसोड में एन्करिंग की थी, इस दरम्यान सर से वालिद का साया उठ गया तो वापस लौटना पड़ा। सच तो यह है कि एक्टिंग आती नहीं, जो भीतर है, वही बाहर सच है।
पत्रिका- राजस्थानी में मंच संचालन की तरफ रुख कैसे हुआ? राजस्थानी कार्यक्रमों पर क्या कहेंगे?
जफ़ऱ खान सिन्धी –अस्ल में राजस्थानी मेरी मातृ भाषा है, माँ की गोद में बैठ कर इस ज़बान का रसास्वादन तब से कर रहा हूँ, जब शब्दों से यारी हुई भी नहीं थी। आकाशवाणी के सनसिटी चैनल पर भी राजस्थानी प्रोग्राम खूब लोकप्रिय हुए। मंचीय कार्यक्रमों में भी राजस्थानी की मरोड़ और ज़ायकेदार लहजा ज़्यादा पसंद किया गया। रेडियो से बाहर सार्वजनिक कार्यक्रमों में युवा लड़के- लड़कियां जब ये कहतीं हैं के पहले राजस्थानी बोलने में हिचक होती थी, आपकी राजस्थानी में एन्करिंग सुन कर लगता है कि हाँ राजस्थानी में भी इतनी लोक लचक और अमीरी झलकती है, तब अपनी ज़बान पर गर्व होता है।
पत्रिका-राजस्थानी भाषा अब तक मान्यता से महरूम है, क्या कारण है?

जफ़ऱ खान सिन्धी – राजस्थानी को मान्यता ना मिलना 7 करोड़ प्रदेशवासियों की बदकिस्मती और 25 सांसदों की कमज़ोर इच्छा शक्ति है।
पत्रिका- आप मंच संचालन की नई पीढ़ी को क्या संदेश देंगे?
जफ़ऱ खान सिन्धी – आज के एन्कर्स ज़माने के साथ साथ अपनी स्पीड भी उसी गति से बढ़ा रहे हैं, जो इस परंपरागत शहर को उतना नहीं लुभाता, जितना ठीमरव ठीक तऱीके से कही जाने वाली बात पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है। नये एन्कर्स को चेहरे के मेकअप के बजाय शब्दों का शृंगार ज़्यादा ख़ूबसूरती दे सकता है। नक़ल और बनावटीपन में परायेपन का एहसास होता है, अपनापन तो हरगिज़ नहीं।पत्रिका- जोधपुर शहर में क्या अच्छा लगता है?सिन्धी- शहर में कोई एक- दो चीज़ अच्छी लगती हो तो बताऊँ ना। मेरे अपणायत से लबरेज़ शहर की हर चीज़ अच्छी लगती है। इस शहर की धूप, इस शहर की छाया, मीठी ज़बान, ज़ायकेदार मेहमान नवाज़ी सब कुछ अच्छा लगता है। कांई कांई करां म्हे बखाण।

Hindi News / Jodhpur / PM मोदी की “भारत की बात सबके साथ” शॉर्ट फिल्म में जोधपुर की आवाज़

ट्रेंडिंग वीडियो