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जोधपुर

महिला चाहती थी कि मरने के बाद भी अमर रहूं, परिजनों ने पूरी की उनकी इच्छा; जानिए कैसे

Organ Donation: परिवार ने एक महिला की अमर रहने की इच्छा पूरी की है। महिला की मौत के बाद परिवार ने उसके अंग दान करने का फैसला किया। इससे 4 लोगों को जीवन मिलेगा।

जोधपुरAug 31, 2024 / 08:37 pm

Suman Saurabh

woman's wish to stay alive was fulfilled, relatives donated her organs

मृतक कंवराई देवी

Jodhpur News: एक महिला मरने के बाद भी अमर रहना चाहती थी। उसने डेढ़ महीने पहले अपने परिजनों से यह इच्छा जाहिर की थी। इस बातचीत के महज डेढ़ महीने बाद ही वह सड़क हादसे का शिकार हो गई। जिसमें उसके सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं। महिला को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया। यहां डॉक्टरों ने बताया कि महिला का ब्रेन डेड हो चुका है। हालांकि, उसकी सांसें चल रही थीं। परिजनों ने तीन दिन तक महिला के स्वस्थ होने का इंतजार किया। लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। इस पर परिजनों को डेढ़ महीने पहले की वही बातचीत याद आ गई। जिसमें महिला ने मरने के बाद भी अमर रहने की इच्छा जाहिर की थी।

परिजनों ने पूरी की अमर रहने की इच्छा

परिजनों ने उसकी इच्छा पूरी करने का निर्णय लिया। उसके शरीर के चार अंग हार्ट, किडनी और लिवर दान कर दिए गए हैं। ये अंग उसकी मौत के बाद भी धड़कते रहेंगे। हार्ट, 1 किडनी और लिवर को शनिवार को फ्लाइट से जोधपुर एम्स से जयपुर भेजा गया। जबकि, 1 किडनी जोधपुर एम्स में ही मरीज को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। महिला के पति रतनलाल ने बताया कि 28 अगस्त को सड़क दुर्घटना में वह, उसकी पत्नी कंवराई देवी (46) और बेटा घायल हो गए थे। इसमें उसकी पत्नी के सिर में गंभीर चोट आई थी। उन्हें उपचार के लिए जोधपुर एम्स में भर्ती कराया गया था। यहां डॉक्टरों ने बताया कि उसकी पत्नी का ब्रेन डेड हो चुका है। डॉक्टर की सलाह के बाद 31 अगस्त को उसने तय किया कि अंगदान कर दिए जाएं।

मृत्यु के बाद कब तक जीवित रहते हैं अंग

डॉक्टर के मुताबिक, मृत्यु के कुछ घंटे तक हार्ट, किडनी, लंग्स और लिवर जैसे अंग जीवित रहते हैं। उन्होंने बताया कि लीवर और किडनी को 10 से 12 घंटे तक जीवित रखा जा सकता है। वहीं हार्ट को 4 से 6 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट करना होता है। ट्रांसप्लांट करने की परिस्थिति में इन अंगों को एक खास बॉक्स में विशेष रसायन के साथ सुरक्षित रखा जाता है। इसके अलावा इन्हें कम तापमान में रखने की जरूरत होती है, इसलिए इन अंगों को बर्फ में रखा जाता है।

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