शुभ ग्रहों के अस्त रहने पर विवाह अनुष्ठान रुक जाते हैं और उदय होने पर विवाह आरंभ होते हैं। रविवार को भड़ल्या नवमी के विशेष अबूझ मुहूर्त में विवाह से चूकने वाले कुंआरों को 119 दिनों बाद देवउठनी एकादशी तिथि तक इंतजार करना होगा।
देवशयनी एकादशी 20 जुलाई और देव उठनी एकादशी 14 नवंबर को है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु के योग निद्रा का विश्राम काल पूरा करने के बाद क्षीर सागर से निकल कर पुन:सृष्टि संचालन शुरू करने का दिवस ही देव उठनी ग्यारस माना जाता है। देवउठनी एकादशी के साथ ही शुभ कार्यों का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। विवाह का पहला मुहूर्त 15 नवंबर को है। नवंबर माह में 7 और दिसंबर में 6 विवाह के शुभ मुहूर्त होंगे। साल के अंत में भी 13 दिसंबर तक ही मुहूर्त के बाद फिर से मळमास प्रारंभ हो जाएगा। अगले साल जनवरी 2022 में भी केवल 22 व 23 तारीख को विवाह के मुहूर्त रहेंगे। इस बीच 6 से 12 जनवरी तक शुक्र का तारा अस्त रहेगा। फरवरी 2022 में 5, 6, 10 और 18 तारीख को मुहूर्त रहेंगे उसके बाद 24 फरवरी को गुरु अस्त होने के साथ मांगलिक कार्य प्रतिबंधित हो जाएंगे ।
नवंबर – 15, 16, 20, 21, 28, 29 और 30
दिसंबर – 1, 2, 6, 7, 11 और 13