प्रतिवर्ष शीतकालीन प्रवास पर आने वाले शर्मीले व डरपोक मिजाज के डेमोसाइल क्रेन कुरजां, खींचन आकर खुद को महफूज महसूस करते हैं। आबादी के बीच बैठकर चुग्गा लेने के साथ ही हजारों की तादाद में पक्षी अपनी मनमोहक अठखेलियों से पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। यहां प्रतिवर्ष करीब 25 हजार पक्षी शीतकालीन प्रवास पर आते हैं। अब तक यहां करीब 12-14 हजार पक्षी पंहुच चुके हैं और अब सर्दी बढऩे के साथ ही कुरजां की संख्या में भी इजाफा होगा।
यहां पिछले करीब एक सप्ताह के न्यूनतम तापमान के आंकड़ों पर नजर डालें तो बारिश से पहले न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के आस-पास था, लेकिन अब पारा फिसलकर करीब 10 डिग्री सेल्सियम के आस-पास आ गया है। पक्षी प्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि प्रतिवर्ष तापमान में गिरावट के साथ ही यहां कुरजां की संख्या में बढ़ जाती है तथा इस बार अब सर्दी बढऩे से आगामी 3-4 दिनों में कुरजां की संख्या में 4-5 से हजार तक इजाफा हो सकता है।
कुरजां के मूल क्षेत्रों में बर्फबारी होने से पक्षी प्रवास पर निकल जाते हैं। प्रवास के दौरान कुरजां के कई जत्थे खींचन पंहुच जाते हैं तो कई जत्थे ऊपरी इलाकों जैसे अफगानिस्तान और हिमालय आदि में ठहर जाते हैं। जैसे ही वहां बर्फबारी होती है, तो यहां सर्दी बढऩे के साथ ही पक्षी खींचन पंहुच जाते हैं। जनवरी माह में खीचन में कुरजां की संया अधिकतम हो जाएगी।