उन्होंने औपचारिक रूप से इस्तीफे का कारण पारिवारिक परेशानी बताया है, लेकिन दूसरी ओर अस्पताल की बिगड़ी वित्तीय व्यवस्था भी परेशानी का कारण है। इससे देनदारियां बढ़ रही हैं और अस्पताल की व्यवस्थाएं भी धीरे-धीरे बेपटरी हो रही हैं। हालांकि इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है, ऐसे में नई व्यवस्था तक वे इस पद पर काम करते रहेंगे।
सात अस्पतालों में आवेदन मांगे, अधीक्षक नहीं लगाए
जोधपुर में एमडीएम, एमजीएच, प्रतापनगर, मंडोर, पावटा, चौपासनी, महिलाबाग अस्पताल में नए अधीक्षक लगाने के लिए पांच माह पहले आवेदन मांगे गए थे। महज तीन डॉक्टर ने ही आवेदन किए। लेकिन यह पूरी प्रक्रिया ही कागजों में अटक गई।
50 करोड़ से ज्यादा का भार
एमडीएम अस्पताल पर वर्तमान में 50 करोड़ की देनदारियां हैं। इस कारण कई सप्लाई फर्मों ने जरूरी उपकरणों की सप्लाई रोक दी है। इसमें हार्ट के स्टंट, डायमंड, सीवीटीएस विभाग के कई उपकरण, कैंसर की दवाएं भी शामिल हैं। यही कारण है कि या तो कई ऑपरेशन टाले जा रहे हैं या मरीजों को लटकाया जा रहा है। आयुष्मान आरोग्य योजना में कई बीमारियों का उपचार कोड नहीं है, ऐसे में इनका उपचार मेडिकेेयर रिलीफ सोसायटी से किया गया। इसी कारण यह भार बढ़ रहा है।
एक साल से देख रहे थे काम
डॉ. किशोरिया ने पिछले साल जनवरी में कार्यभार संभाला था। तब तत्कालीन अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित को एक मामले में जांच के चलते एपीओ किया गया था। वर्तमान में वे मेडिसिन विभाग के एचओडी हैं। मैंने अपनी इच्छा बताई है
मैंने पारिवारिक कारणों से अपनी इच्छा बताई है। जब तक सरकार नई व्यवस्था नहीं करती है, हम काम करते रहेंगे।
- डॉ. नवीन किशोरिया, अधीक्षक, एमडीएम अस्पताल