गौरतलब है कि हाईकोर्ट की ओर से १६ मई २०१५ को जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस मनोजकुमार गर्ग की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि कॉलेज एआईसीटीई की ओर से निर्धारित स्तर मेंटेन नहीं कर रहा है। इसलिए कौंसिल कॉलेज का निरीक्षण करे तथा इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए निर्धारित स्तर मेंटेन नहीं किया जा रहा हो, तो डी-रिकग्नाइजेशन किया जाए। इस पर जुलाई में आएईसीटीई ने निरीक्षण कर कॉलेज मे व्याप्त खामियों की रिपोर्ट पेश की थी।
हाईकोर्ट ने मंगलवार को एआईसीटीई की आवश्यकताओं को पूरा करने बाबत राज्य सरकार व जेएनवीयू को आवश्यक निर्देश देने के साथ याचिका निस्तारित कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर सिंघवी व भावित शर्मा ने और सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार व श्याम पालीवाल ने पक्ष रखा। जेएनवीयू की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पीआर सिंह मौजूद रहे।
जेएनवीयू में नकल प्रकरणों की सुनवाई १० से जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की वर्ष 2017 की परीक्षाओं के दौरान नकल प्रकरणों की सुनवाई १० अक्टूबर से शुरूहोगी। जिन विद्यार्थियों को अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए पकड़ा गया था और जिनका परीक्षा परिणाम रोका हुआ है, उनके मामलों में सुनवाई के लिए गठित समितियों की बैठकें 10 व 11 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से विवि केन्द्रीय कार्यालय स्थित बृहस्पति भवन में रखी गई है। परीक्षा नियंत्रक प्रो. जैताराम विश्नोई ने बताया कि बीए अंतिम वर्ष, एलएलबी प्रथम व द्वितीय वर्ष, विधि संकाय (सभी कक्षाओं के विद्यार्थी), एमए के (सेमेस्टर प्रणाली, पूर्वाद्र्ध व उत्तराद्र्ध) सभी विषयों के विद्यार्थियों की नकल प्रकरण की सुनवाई 10 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से और बीए प्रथम वर्ष, बीए द्वितीय वर्ष और विज्ञान संकाय (सभी कक्षाओं एवं विषयों के विद्यार्थी) की नकल प्रकरण सुनवाई 11 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से केन्द्रीय कार्यालय के बृहस्पति भवन में होगी। प्रो. विश्नोई ने बताया कि विद्यार्थी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर गठित समितियों की बैठकों का कार्यक्रम देख सकते हैं। उन्होंने बताया कि सभी विद्यार्थियों को कारण बताओ नोटिस स्पीड पोस्ट से भेजे जा रहे हैं। यदि किसी विद्यार्थी को किसी कारणवश नोटिस नहीं मिला तो वे विद्यार्थी 7 अक्टूबर तक गोपनीय शाखा में संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा 10 व 11 अक्टूबर को निर्धारित नकल प्रकरण सुनवाई कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हो सकते हैं।