पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर आदि हीटवेव की चपेट में है। वहीं इन दोनों नौतपा का भी असर है। इससे यहां का तापमान बढ़ गया है। इसके बावजूद जोधपुर आने वाली ट्रेनें समय पर चल रही है। इंजन की हालत गर्मियों में किसी बॉयलर से कम नहीं होती। बाहर के तापमान के साथ इंजन की गर्मी से लोको पायलट के केबिन का तापमान करीब 8-10 डिग्री ज्यादा ही होता है। तापमान ही नहीं, इंजन में लगी 6 मोटरों के चलने की भारी आवाज और गड़गड़ाहट भी लोको पायलट की परीक्षा लेती है। वर्तमान में जोधपुर रेल मंडल में करीब 90 डीजल इंजन है, इनमें से 10 में एसी थे, लेकिन वे अभी बंद है। कुछ केबिन में केब फेन है, तो किन्हीं में कुछ भी नहीं लगा है, जो किसी बॉयलर से कम नहीं है।
समय पर पहुंच रही है ट्रेनें
जोधपुर रेल मंडल की वे ट्रेनें जो जोधपुर को दिन में मिलने के बाद दिन में ही संचालित होती है। इनमें इंदौर-जोधपुर, मरुधर, बेंगलुरु-जोधपुर, पुरी-जोधपुर, रानीखेत, साबरमती-जोधपुर, बाड़मेर-ऋषिकेश व ऋषिकेश-बाड़मेर सहित अधिकांश ट्रेन जोधपुर रेल मंडल को दिन में मिलती है और इनमें अधिकांश के जोधपुर पहुंचने का समय दोपहर 12 से शाम 6 बजे के बीच होता है। इसके बावजूद जोधपुर रेल मंडल के लोको पायलट गर्मी को मात देते हुए नियत समय पर ट्रेनों को जोधपुर पहुंचा रहे हैं।
बहरापन, बीपी-शुगर हो रही
चिकित्सकों के अनुसार लोको पायलट को हाई बीपी, शुगर और बहरेपन की बीमारी आम है। युवा लोको पायलट भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे है। इंजन में टायलेट-बाथरूम की सुविधा भी नहीं है। ऐसे में महिला लोको पायलट को बहुत ज्यादा दिक्कत होती है।
मांग की जाएगी
बाहरी तापमान व इंजन की गर्मी से लोको पायलट की हालत खराब हो जाती है। यूनियन की ओर से इंजन में एसी लगाने की पुरजोर मांग की जाएगी। – मनोज कुमार परिहार, मण्डल सचिव, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्प्लॉयज यूनियन जोधपुर
स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर
गर्मी के मौसम में लोको में एसी नहीं होने से लोको पायलटों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। अमरीकी लोको की तरह सभी इंजन में एसी होने चाहिए। – अजय शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर पश्चिम रेलवे मजदूर संघ जोधपुर