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जोधपुर

मेहरानगढ़ दुर्ग से सटी पचेटिया पहाड़ी की गुफा में बना है दक्षिणामुखी ज्वालामुखी माता का मंदिर, 458 साल प्राचीन है इतिहास

मेहरानगढ़ दुर्ग से सटी पचेटिया पहाड़ी पर सूर्यनगरी का एकमात्र दक्षिणामुखी ज्वालामुखी मंदिर 458 साल प्राचीन है। महाराजा जसवंतसिंह प्रथम के समय विक्रम संवत 1617 में मंदिर का निर्माण किया गया था। नवचौकिया-फतेहपोल से एवं सिटी पुलिस क्षेत्र से होकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

जोधपुरOct 01, 2019 / 11:25 am

Harshwardhan bhati

jwala mata temple at pachetia hill of mehrangarh fort jodhpur

मेहरानगढ़ दुर्ग से सटी पचेटिया पहाड़ी की गुफा में बना है दक्षिणामुखी ज्वालामुखी माता का मंदिर, 458 साल प्राचीन है इतिहास

जोधपुर. मेहरानगढ़ दुर्ग से सटी पचेटिया पहाड़ी पर सूर्यनगरी का एकमात्र दक्षिणामुखी ज्वालामुखी मंदिर 458 साल प्राचीन है। महाराजा जसवंतसिंह प्रथम के समय विक्रम संवत 1617 में मंदिर का निर्माण किया गया था। नवचौकिया-फतेहपोल से एवं सिटी पुलिस क्षेत्र से होकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। निज मंदिर में महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा को चट्टान से काटकर बनाई गई थी। गुफा में बने मंदिर के गर्भगृह में सिंह पर आरूढ़ दैवीय प्रतिमा को महिषासुर पर आक्रमण करते दर्शाया गया हैं। चार हस्त जिनके क्रम में त्रिशूल, खड्ग, ढाल व मुंड हैं।
माता के गले में परम्परागत आभूषणों के साथ हाथों में चूडिय़ां भी उत्कीर्ण हैं। देवस्थान विभाग जोधपुर की ओर से प्रबंधित प्रत्यक्ष प्रभार के मंदिर के गर्भगृह की बांयी ओर गणेश व चौथ माता की प्रतिमा चट्टान में ही उत्कीर्ण हैं। गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर भैरुजी एवं मंदिर के दोनों तरफ दो जलकुंड भी बने हुए हैं। शारदीय व चैत्र नवरात्रा में यहां दर्शन आराधना का विशेष महत्व माना गया है। विक्रम संवत 1842 (1785) ईस्वी में जोधपुर में भारी वर्षा के कारण मंदिर का काफ ी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था जिसे महाराजा भीम सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया और मंदिर की चारदीवारी निर्माण सहित मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढिय़ों का निर्माण भी करवाया था।
देवस्थान विभाग जोधपुर के प्रबंधक राजकमल के अनुसार मंदिर में प्रतिवर्ष शारदीय व चैत्रीय नवरात्र के दौरान विशेष पूजन सामग्री पुजारियों को उपलब्ध कराई जाती है। देवस्थान विभाग की ओर से मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार करवाया जाता है। मंदिर परिसर से सटे जलकुण्ड के पास करीब सत्रह फीट की भीम की विशाल मूर्ति भी हैं।

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