ऐसे में उनके परिवार और रिश्तेदार भी रहने के लिए इन झोपड़ियों में आ गए। उन्हें क्या पता था कि अमावस्या की छुट्टी की रात जिंदगी में अंधेरी रात बनकर आएगी। दीवार के नीचे दबने से कोटा के खुमला जागीर निवासी सुनीता (32) की मौत हो गई। सुनीता अपने पति दिनेश (34) के साथ रहकर मजदूरी करती थी। बीती रात दोनों एक ही झोपड़ी में थे और दोनों दीवार के मलबे के नीचे दब गए। सुनीता और दिनेश दोनों को एम्स ले जाया गया, जहां सुनीता ने दम तोड़ दिया। दिनेश घायल है। उसका इलाज चल रहा है।
पुरानी दीवार पर खड़ी की नई दीवार
जोधपुर के न्यू महालक्ष्मी टिम्बर फैक्ट्री में 5 फीट ऊंची पुरानी दीवार थी। हाल ही में उस पर नई 12 फीट की दीवार खड़ी कर दी गई। दीवार की लम्बाई 70 फीट थी। इस पूरी दीवार के सहारे झुग्गी झोपड़ियां थी, जिसमें काम करने वाले मजदूर महालक्ष्मी टिम्बर के नहीं थे।
भर गए सेफ्टी टैंक, दीवार के पास पहुंचा पानी तो ढही
फैक्ट्री में पानी के दो सेफ्टी टैंक भी है। बीती रात तेज बारिश के समय दोनों सेफ्टी टैंक भर गए और पानी दीवार के पास फैलने लगा। पुरानी दीवार होने से पानी ने दीवार को काट दिया। दीवार टेढ़ी और कुछ ही देर में 70 फीट लम्बी और 17 फीट ऊंची दीवार ने झोपड़ियों पर गिरकर तबाही मचा दी।
चारों तरफ चीत्कार
सुबह 3 से 4 बजे का समय था। दीवार गिरने से झोपड़ियों में सो रहे मजदूर और उनके बच्चे दब गए। चारों तरफ चीत्कार मच गई। कई मजदूर दब गए। जिन पर मलबा कम गिरा था, वे साथियों के रेसक्यू में लग गए। अंधेरा होने से काफी परेशानी हुई। कुछ देर बाद बोरानाडा पुलिस, फायर ब्रिगेड, एसडीआरएफ टीम जेसीबी के साथ पहुंची, जिनकी लाइट में रेसक्यू किया गया।