हाईकोर्ट ने बुधवार को मेडिकल कॉलेज के तहत संचालित शहर के मथुरा दास माथुर अस्पताल, महात्मा गांधी एवं उम्मेद अस्पताल के निरीक्षण की रिपोर्ट देखने के बाद यह आदेश दिया। अव्यवस्थाओं से नाराज होकर कोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया।
ध्यान रहे कि सेवानिवृत्त होने के बाद सरकार ने डॉ. भाट की 31 दिसम्बर 2017 तक पुन: नियुक्ति कर दी थी, लेकिन सेवा विस्तार के बाद उन्हें सरकार द्वारा जो भी बजट और मशीनरी दी गई, उसका समय पर उपयोग नहीं करने की वजह से अस्पतालों में अव्यवस्थाएं फैल गईं। खंडपीठ ने स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर शहर के सभी बड़े अस्पतालों की अव्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए एक समिति का गठन कर इनकी हालत सुधारने का आदेश दिया था।
सुनवाई के दौरान प्रिंसिपल डॉ. भाट, सार्वजनिक निर्माण विभाग के संजीव माथुर और एडीएम सीमा कविया मौजूद थीं। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवकुमार व्यास ने पक्ष रखा। मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी। निरीक्षण रिपोर्ट होईकोर्ट में पेश हाईकोर्ट की ओर से बनाई गई लीगल कमेटी ने तीनों अस्पतालों का निरीक्षण कर रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की। इसमें तीनों अस्पतालों में अव्यवस्थाएं और कमियां बताई गईं।
रिपोर्ट के अनुसार मथुरादास माथुर अस्पताल में दो माड्यूलर थिएटर बनाने में भी कई कमियां रहीं। इससे संक्रमण फैलने का अंदेशा है। समिति के उप सचिव न्यायिक अधिकारी धीरज शर्मा व पूर्णकालिक सचिव न्यायिक अधिकारी प्रेमरतन ओझा ने रिपोर्ट पेश की। न्यायमित्र एमएस सिंघवी ने भी कोर्ट के समक्ष कई सुझाव पेश किए। हाईकोर्ट ने अधिकारियों को आदेश दिया कि 11 दिसम्बर तक तीनों अस्पतालों में सफाई व्यवस्था दुरस्त कर मशीनें इंस्टाल की जाएं।