17 दिसंबर को पुणे के अस्पताल में उसे ब्रेन डेड घोषित किया गया। लेकिन उनके परिवार ने जो साहसिक निर्णय लिया, वह पूरे जोधपुर शहर के लिए ही नहीं बल्कि, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गया। उसके माता-पिता सुषमा व जयप्रकाश बिश्नोई ने अंगदान का निर्णय किया। इसके बाद उसका ह्दय, लीवर, दोनों किडनी और पैनक्रियाज अंगों को दान कर कई जिंदगियों को बचाने का काम किया।
कॅरियर में ऊंचाई छूने का सपना
जोधपुर में उम्मेद हेरिटेज सोसायटी में रहने वाली चेष्टा को याद करते हुए सोसायटी के अध्यक्ष अशोक संचेती व सचिव पुनीत राव ने बताया कि चेष्टा एक असाधारण प्रतिभा की धनी थी। उसने 22 घंटे की उड़ान पूरी कर ली थी और अपने पहले स्ट्राइप्स पहनने की तैयारी में थी। उसकी मेहनत और लगन ने उसे उड़ान के लिए जरूरी 200 घंटों में से 55 घंटे पूरे करवा दिए थे। उसकी सभी लिखित परीक्षाएं पास हो चुकी थीं। चेष्टा का सपना आसमान की ऊंचाइयों को छूना था।
खेतोलाई में अंतिम संस्कार
चेष्टा के पिता ज्योति प्रकाश मूलरूप से पोकरण के समीप खेतोलाई गांव के रहने वाले हैं और वर्तमान में परिवार जोधपुर में निवास करता है। पैतृक गांव खेतालाई में ही उसका अंतिम संस्कार किया गया।