सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता विपुल सिंघवी ने कहा कि चुनाव के दिन उन्हें कोर्ट आने तक का रास्ता नहीं दिया गया। वे किसी तरह कोर्ट पहुंचे, यहां तक कि वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों को अपना परिचय देकर इमरजेंसी भी बताई, फिर भी उन्होंने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें पुलिया से नहीं गुजरने दिया। इसलिए मामले में जेएनवीयू और सरकार की ओर से कोर्ट को लिखित में आश्वासन देना चाहिए। इस पर कोर्ट ने अप्रार्थीगण को अगली सुनवाई पर लिखित रिजॉइंडर पेश करने का आदेश दिया। खंडपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई 4 दिसंबर मुकर्रर की है। सरकार की ओर से एएजी राजेश पंवार और अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने पैरवी की।