गत 22 जनवरी को वारदात के बाद जांच शुरू की गई। चूंकि ट्रेन के स्लीपर व एसी कोच में लूटपाट हुई थी। ऐसे में जीआरपी जोधपुर के कांस्टेबल मोहनलाल ने ट्रेन का रिजर्वेशन चार्ट से जांच शुरू की। स्लीपर कोच के रिजर्वेशन चार्ट में कुछ यात्री संदिग्ध होने का पता लगा। उनके नाम व पते के आधार पर जीआरपी के अलग-अलग थानों में जांच कराई गई। तब सामने आया कि चार यात्रियों को अजमेर व आबूरोड जीआरपी में अपराधिक रिकॉर्ड है और वे दिल्ली के रहने वाले हैं। इस आधार पर जीआरपी की अलग-अलग टीमें तलाश के लिए लगाईं गईं। काफी तलाश के बाद चारों को पकड़ लिया गया। पूछताछ में चारों ने वारदात कबूल की। यह गैंग पुरानी दिल्ली, सराय रोहिल्ला, दिल्ली केंट, हजरत निजामुद्दीन, शाहदरा, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 250-300 वारदातें कर चुकी है।
वारदात के बाद एडीजी (रेलवे) संजय अग्रवाल के निर्देश पर जीआरपी एसपी भंवरसिंह व एसपी जोधपुर राशि डोगरा डूडी ने एएसपी योगिता मीणा, उपाधीक्षक ताराराम बैरवा, जीआरपी जोधपुर के थानाधिकारी किशनसिंह, जीआरपी आबूरोड के दिलीपसिंह के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की। कांस्टेबल मोहनलाल की सूचना पर साइबर सैल के प्रभारी एएसआइ मनोज कुमार ने हुलिए के आधार पर आरोपियों को पकडऩे में सक्रियता निभाई।