scriptरेगिस्तान में फूटा पानी का फव्वारा, अब वैज्ञानिकों ने किया बड़ी खोज का दावा, फिर मिले सरस्वती नदी के संकेत | Fountain that burst out during tubewell digging in Jaisalmer indicated that it was the channel of Saraswati river | Patrika News
जोधपुर

रेगिस्तान में फूटा पानी का फव्वारा, अब वैज्ञानिकों ने किया बड़ी खोज का दावा, फिर मिले सरस्वती नदी के संकेत

वैज्ञानिकों का कहना है पंजाब और हरियाणा में सिंचाई युक्त कृषि अत्यधिक होने के कारण पानी जमीन से रिसता है और यह रिसाव सरस्वती नदी के चैनल्स को लगातार रिचार्ज कर रहा है।

जोधपुरJan 02, 2025 / 10:21 am

Rakesh Mishra

tubewell viral news
गजेंद्र सिंह दहिया
कुछ दिन पहले जैसलमेर के मोहनगढ़ में 850 फीट ट्यूबवेल खुदाई के दौरान फूटे फव्वारे ने यहां सरस्वती नदी का चैनल होने के संकेत दिए हैं। यह वही क्षेत्र है जहां केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) के वैज्ञानिकों को अपने रिसर्च के दौरान 1984 में हेलोक्सीलॉन सैलिकोर्निकम झाड़ी मिली थी।

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इस झाड़ी को वैज्ञानिकों ने 5 मीटर तक खोदा, लेकिन इसकी जड़ और भी गहरी थी। उस समय संसाधन नहीं होने से अधिक खुदाई नहीं की जा सकी। काजरी के तत्कालीन वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार और विनोद कुमार ने इस झाड़ी की गहराई 8 से 10 मीटर बताते हुए एक रिसर्च प्रकाशित किया।

पानी के बड़ा स्रोत का दावा

इस रिसर्च में इस क्षेत्र में सरस्वती नदी की भूमिगत धारा का प्रवाह होने की संभावना जताई थी। वैज्ञानिकों ने अनुसार यह झाड़ी वहीं पाई जाती है जहां पानी का कोई बड़ा स्रोत हो। यह झाड़ी जमीन पर आधा मीटर भी मुश्किल से निकलती, लेकिन जड़ पानी की तलाश में 10 मीटर तक जाती है।

तीन संभावना व्यक्त करती है घटना

सेवानिवृत्त प्रोफेसर और भूगोलवेत्ता प्रो नरपत सिंह राठौड़ ने मोहनगढ़ की घटना को तीन संभावनाओं में बांटा है।

  • * ट्यूबवैल खुदाई में निकली जल धारा की घटना तीन संभावना को सिद्ध करती है। खुदाई में निकली मिट्टी की आयु टर्शियरी काल की होने के साथ जल में सोडियम क्लोराइड मात्रा प्रति 1000 ग्राम में 27 ग्राम से ज्यादा और 77 प्रतिशत से ज्यादा लवण की मात्रा है, तो निश्चित रूप से यह टेथिस सागर का ही भाग है।
  • * प्राचीन सरस्वती नदी जो यहां से बहती थी उसी का सुरक्षित बचा हुआ जल भंडार हो सकता है।
  • * भूगर्भ में अथाह जल का भंडार है जो ट्यूबवैल के खोदने से निकला है। यहां बलुआ एवं चूना पथर के जमावों में जल के भंडार मिलते हैं। शायद जमीन के अंदर पानी बह रहा है।

इसलिए एक्टिव हो रही सरस्वती

वैज्ञानिकों का कहना है पंजाब और हरियाणा में सिंचाई युक्त कृषि अत्यधिक होने के कारण पानी जमीन से रिसता है और यह रिसाव सरस्वती नदी के चैनल्स को लगातार रिचार्ज कर रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले 10-20 साल में यहां चमत्कार हो सकता है।

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