नगरीय परिवहन व्यवस्था के तहत संचालित सिटी बसों का मुख्य उद्देश्य यात्रियों की सुविधा-सुरक्षा है, पर इसे ही ध्यान में नहीं रखा जा रहा। स्टैंड पर रोकने के बजाए चालक बसों को सड़क के बीच में रोककर यात्रियों को उतरने को कह देते हैं। बसें भी पूरी तरह नहीं रोक कर सिर्फ उसकी गति धीमी की जाती है। प्रयास यह रहता है कि यात्री चलती बस से ही उतर जाए। इसके पीछे कारण जल्द से जल्द आगे निकलना और अधिक से अधिक सवारियों को लेना रहता है। आगे की सवारी को पाने की होड़ में बस में बैठी सवारियों की जान जोखिम में डाल दी जाती है।
सिटी बसें लापरवाही से यात्रियों को बिठा रही हैं तो यात्री भी अपनी सुरक्षा को लेकर जागरूक नहीं है। क्षमता से अधिक सवारियां बैठाई जाती है तो सवारियां भी भरी बस में चढऩे से मना नहीं करती। यहां तक कि विद्यार्थी तो दरवाजे पर लटक कर भी यात्रा करने लगते हैं। इसी तरह सड़क के बीच उतारने पर विरोध दर्ज नहीं कराया जाता और ना ही यातायात पुलिस और परिवहन विभाग को शिकायत की जाती है।
चौपासनी, मधुबन, बासनी सहित सनसिटी के भीतरी -बाहरी रोड पर सिटी बसें संचालित हंै। यात्रियों को चढ़ाने-उतारने और इंतजार के लिए सड़क के किनारे स्टैंड बनाए हुए हैं। व्यवस्था यह की हुई है कि बसें इन स्टैंड पर सड़क किनारे रुके और यात्रियों को सुरक्षित उतारे-चढ़ाएं। इस दौरान सड़क का यातायात भी बाधित न हो यह भी ध्यान रखा जाए।
चालक व कंडक्टर सड़क के बीच में यात्रियों को उतार देते हैं। बच्चे, महिलाएं वह बुजुर्ग कई बार उतरने के दौरान अपना संतुलन नहीं रख पाते और गिरकर चोटिल हो जाते हैं। चलती बस से उतरने के दौरान यात्रियों को ध्यान नहीं रहता और पीछे से सड़क पर आ रहे वाहन से टकरा जाते हैं। जिससे चोट तो लगती है और आपस में विवाद भी हो जाता है ।लापरवाही का यह नजारा सोजतीगेट, जालोरी गेट,चौपासनी, पावटा, आखलिया चौराहा,बासनी, कुड़ी और जोधपुर के अन्य क्षेत्रों पर देखा जा सकता है।