यह कुछ मामले हैं जो पिछले एक सप्ताह में सामने आए हैं। इनके अलावा भी जोधपुर में हर दिन करीब 15 लोग ऐसे होते हैं, जिनको दिल का दौरा पड़ने की शिकायत होती है। ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं। दिल का दौरा अचानक कार्डियक अरेस्ट में बदल रहा है। खास बात यह है कि ऐसे लोगों की सभी जांचें सामान्य आती है। इसके बावजूद अचानक धड़कनें बंद हो जाती है। ऐसे लोग जिनको फैमिली हिस्ट्री नहीं है और जिनको किसी प्रकार की बीमारी भी नहीं है, वे भी चपेट में आ रहे हैं।
आंकड़ों में बात
- भारत में 5 लाख लोगों की मौत हर साल अचानक कार्डियक अरेस्ट से होती है।
- 30 प्रतिशत तक मामले बढ़े हैं कार्डियक अरेस्ट के।
- 30 सेकंड में ही टूट जाता है दम।
- 15 से 20 हर दिन एंजियोग्राफी होती है जोधपुर में।
- 70 प्रतिशत एंजियोग्राफी वाले मरीजों को बाइपास या एंजियोप्लास्टी की जरूरत पड़ती है।
- एक महीने में 250 से ज्यादा लोगों को दिल का दौरा पड़ता है।
सीपीआर से मिल सकती है राहत
पिछले कुछ समय में कार्डियक अरेस्ट के जो मामले सामने आए हैं उनमें मरीजों को अस्पताल पहुंचने तक का भी समय नहीं मिल रहा। 30 सेकंड से 1 मिनट के भितर मरीज की मौत हो जाती है, लेकिन ऐसी परिस्थिति में यदि कोई सीपीआर का जानकार होता है तो वहां जान बचाई जा सकती है। सीपीआर का शत-प्रतिशत परिणाम तो नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में जान बचाने में कारगर रहता है।
ऐसी स्थिति में आती अरेस्ट
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के सीवीटीएस विभागाध्यक्ष डॉ. सुभाष बलारा बताते हैं कि ऐसे मामलों में यदि 10 या 20 प्रतिशत भी प्लाक किसी के वेन में जमा हुआ है और अचानक से उसका टुकड़ा टूट कर पूरी वेन को ब्लॉक कर देता है। ऐसी स्थिति में ही अरेस्ट आता है।
दर्द को गैस समझना गलती
डॉ. पवन सारडा बताते हैं कि कई बार सीने में दर्द को गैस समझते हैं और उसकी गोली लेकर आराम कर लेते हैं। उससे कुछ दिन के लिए राहत मिलती है, लेकिन यह खतरा बढ़ता जाता है। कई मामलों में कॉलेस्ट्रॉल जमा, ईको और ईसीजी जैसी जांचों में भी कुछ पता नहीं चलता।
स्वस्थ लोगों भी परेशानी
कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित माथुर बताते हैं कि सामान्य जांचों के बाद टीएमटी, स्ट्रेस इको और सिटी एंजियो जैसी जांचे भी करवा कर देखी जाती है। जिसकी फैमिली हिस्ट्री नहीं है और स्वस्थ लोगों यह परेशानी हो रही है, जो कि ध्यान इस ओर खींच रही है।