हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और राजस्थान सरकार की संयुक्त परियोजना में बनने वाली इस रिफाइनरी का नाम फिलहाल ‘राजस्थान रिफाइनरी’ रखा गया है। एचपीसीएल ने अगस्त महीने में एनजीटी में पर्यावरण्ीय स्वीकृति के लिए आवेदन किया था। सभी दस्तावेज जांचने के बाद एनजीटी ने रिफाइनरी को हरी झंडी दे दी। इधर रिफाइनरी के लिए दो दिन पहले हुई लीज डीड में दस्तावेजों का आधार-प्रदान किया गया है। चारदीवारी बनाने के लिए कॉन्ट्रेक्ट दे दिया गया है। कॉन्ट्रेक्टर को एक सप्ताह के भीतर काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। इस परियोजना में एचपीसीएल की हिस्सेदारी ७४ फीसदी और राजस्थान सरकार की २६ फीसदी है। रिफाइनरी कमपेट्रो केमिकल कॉम्पलेक्स २०२१ में बनकर तैयार हो जाएगा।
देश में सबसे बड़ी रिफाइनरी
एचपीसीएल की वर्तमान में मुम्बई स्थित रिफाइनरी की सालाना उत्पादन क्षमता ७.५ मिलियन टन है। विशाखापट्टनम स्थित रिफाइनरी ८.३ मिलियन टन तेल का उत्पादन कर रही है। इसके अलावा पंजाब में मित्तल इण्डस्ट्री के साथ संयुक्त रूप से रिफाइनरी है। राजस्थान रिफाइनरी की क्षमता ९ मिलियन टन होगी, जो एचपीसीएल की देश में सबसे बड़ी रिफाइनरी होगी।
इसमें उत्पादित पेट्रोल-डीजल बीएस (भारत स्टैण्डर्ड)-६ मानक के होंगे। रिफाइनरी में ४३ हजार करोड़ खर्च होंगे। वैसे एचपीसीएल अगले पांच साल में ६१ हजार करोड़ का निवेश करने जा रही है ताकि उसकी कुल रिफाइनरी क्षमता ५० मिलियन टन पहुंच जाएगी, जो इंडियन ऑयल के बाद देश में दूसरी बड़ी तेल शोधन क्षमता होगी।
एक सप्ताह में काम शुरू करेंगे
रिफाइनरी को एनजीटी से पर्यावरणीय स्वीकृति मिल गई है। अगले एक सप्ताह के भीतर रिफाइनरी की जमीन पर चारदीवारी बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। शलभ राज गुप्ता, एसआरएम, एचपीसीएल