—- देश में भेड़-बकरी संस्थान, बाजरा का ही नहीं भारत सरकार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से अन्य अनाज, दलहन व पशुओं के अनुसंधान संस्थान है। बाजरा के बहुआयामी प्रायोगिक संस्थान नहीं होने के कारण बाजरा उत्पादक किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। देश में मक्का, धान, गन्ना, गेहूं, जई, मसालें, आलू, तंबाकू, कपास,भेड़, बकरी, घोड़ा आदि संस्थान है। अन्य संस्थानों की तरह बाजरे का अलग से अनुसंधान संस्थान बने तो न केवल राजस्थान बल्कि बाजरा उत्पादक हरियाणा, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के किसानों को भी फायदा होगा।
——— कुल उत्पादन का 42 प्रतिशत उत्पादन राजस्थान में देश में कुल 9.8 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्रफ ल में बाजरा बोया जाता है। जिसका उत्पादन करीब 9.4 मिलियन टन है। इसमें अकेले राजस्थान में 3.75 मिलियन टन उत्पादन होता है जो देश का करीब 42 प्रतिशत हिस्सा है। राजस्थान में करीब 4.15 मिलियन हैक्टेयर में बाजरा बोया जाता है, जो पूरे देश का करीब 56 प्रतिशत क्षेत्रफ ल में है।
——— नकली बीज विक्रेताओं के चंगुल में नहीं फंसेगा किसान प्रगतिशील किसान तुलछराम सिंवर ने बताया कि अलग से अनुसंधान संस्थान बने तो अधिक उत्पादकता वाली किस्में विकसित होगी। संस्थान का प्रमाणित बीज किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। इससे किसान नकली बीज विक्रेताओं के चंगुल में नहीं फंसेगा।
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बाजरा के उत्पादन को देखते हुए यहां अनुसंधान संस्थान होना चाहिए, लेकिन यह निर्णय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद करेगा। हम देशभर में बाजरा पर हो रहे अनुसंधान का डाटा यहां पर एकत्रित कर परिषद को भेजते है।
डॉ सी तारा सत्यवती, प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनुसंधान परियोजना जोधपुर