आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, थिंग्स ऑफ इंटरनेट, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स, ब्लॉक चेन, वर्चुअल रीडिंग, साइबर सिक्योरिटी, क्लाउड कंप्यूटिंग, डाटा एनालिसिस। इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए उठाए कदम
– हर साल 10 प्रतिशत सीटें कम की जा रही हैं।
– शिक्षकों के शिक्षण में सुधार के लिए जयपुर, गुवाहाटी बड़ौदा और तिरुवंतपुरम में अटल एकेडमी खोली गई है। इसमें 8 मॉड्यूल वाला टीचर सर्टिफिकेट प्रोग्राम पढ़ाया जा रहा है।
– बीटेक प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्रों को पहले 3 सप्ताह में क्रिएटिव एक्टिविटी कराई जा रही है।
– बीटेक द्वितीय वर्ष में ही इनोवेशन पर जोर दिया जा रहा है ताकि डिग्री पूरी होने से पहले ही छात्र नए स्टार्ट-अप शुरू कर सकें। यही वजह है कि इनोवेशन इंडेक्स में भारत 91वें स्थान से 52 वें पर आ गया।
– हर साल 8 से 10 लाख इंजीनियर तैयार हो रहे हैं जो भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिए पर्याप्त हैं। वर्तमान में 4.50 लाख इंजीनियर को कैंपस प्लेसमेंट मिल रही है। बाकी का डाटा एआइसीटीइ के पास नहीं है।
जर्मनी, जापान और यूरोप में यूरोपियन सहित अन्य विकसित देशों की आबादी वृद्धावस्था की ओर जा रही है। भारत की इंजीनियरिंग शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के बाद बेहतर इंजीनियर इन देशों में काम आएंगे। वर्तमान में भी मध्य पूर्व के अधिकांश देशों में भारतीय इंजीनियर कार्यरत हैं।