ब्रिटेन के 26 वर्षीय डेन ने वर्ष 2017 में यूट्यूब से 1.65 करोड़ डॉलर (करीब 73 करोड़ रु.) कमाए। लेकिन हाल ही एक अध्ययन में कहा गया है कि यूट्यूब पर कमाई अब टेढ़ी खीर हो गई है। अध्ययन से जुड़े जर्मनी की एप्लाइड साइंसेज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मेथिया बार्ल का कहना है कि यूट्यूब के सर्वाधिक देखे गए चैनल्स के 3.5 फीसदी स्लॉट में आने का मतलब है कि महीनेभर में कम से कम 10 लाख वीडियो व्यूज होने चाहिए। विज्ञापन आय की बात करें तो यह सालभर में 12 हजार से 16 हजार डॉलर (करीब साढ़े आठ लाख से ग्यारह लाख रु.) होगा। यूट्यूब क्रिएटर्स को लेकर यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है।
उन्होंने पाया कि क्रिएटर्स के लिए टॉप में पहुंचना इसलिए भी मुश्किल हो गया है क्योंकि यूट्यूब खुद अब हर मिनट 300 घंटे के वीडियो डाल रहा है। वीडियो देखने वालों का औसत दस वर्ष पहले प्रति वीडियो 10,262 था जो 2016 में घटकर मात्र 89 रह गया था। इसी तरह शीर्ष के तीन प्रतिशत चैनल्स को जहां 2006 में ऑल व्यूज में से 64 फीसदी व्यूज मिल रहे थे जो दस वर्षों में बढक़र 90 फीसदी हो गए। म्यूजिक वीडियो की बात करें तो गाने अपलोड करने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन श्रोता मिलना मुश्किल है।
यों होती है कमाई मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन के मुताबिक पिछले साल यूट्यूब पर जारी 86 फीसदी म्यूजिक वीडियो में से मात्र एक फीसदी से भी कम कामयाब हुए। इन वीडियो से कमाई के लिए जरूरी है कि लाखों बार इन्हें सुना जाए। विवाद होने पर बड़े स्टार लोगान पॉल के चैनल्स पर यूट्यूब ने विज्ञापन बंद कर दिए थे। वीडियो गेम्स के बारे में बताने वाले प्यूडीपाई (फैलिक्स कैलबर्ग) जैसे स्टार को नस्लीय विवाद पर गूगल ने अपनी एश्�ँ सर्विस से उन्हें हटा दिया था।
इसलिए मुश्किल हुई कमाई
यूट्यूब के नए नियमों के मुताबिक चैनल्स को 12 महीनों में एक बजार सब्सक्राइबर्स और चार हजार घंटे का वॉच टाइम होने पर पर ही विज्ञापनों से कमाई के योग्य माना जाएगा। यूट्यूब का कहना है कि यह बदलाव आपत्तिजनक व आक्रामकता वाले वीडियो को हतोत्साहित करने के लिए है। यूट्यूब चैनल्स में एंटरटेनमेंट वीडियो की श्रेणी में ऑल व्यूज का 24 फीसदी हिस्सा आता है। इसके बाद म्यूजिक व गेमिंग का नंबर आता है।