उन्होंने कहा कि सरकार ने आरक्षण के मामले में पूरे विश्वविद्यालय को एक यूनिट मानने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, जो खारिज हो गई है। उन्होंने बताया कि सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करेगी और यदि वह भी निरस्त हो गई तो उसके पास अध्यादेश का विकल्प खुला है।
उन्होंने आश्वस्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को एक यूनिट मानकर ही 200 सूत्री रोस्टर प्रणाली से ही भर्तियां होंगी। जब तक समीक्षा याचिका पर कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक 13 सूत्री रोस्टर प्रणाली से भर्तियां नहीं होंगी। जावड़ेकर ने कहा, ”सरकार अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को उच्च शिक्षण संस्थानों में नियुक्तियों में आरक्षण देने और पुरानी रोस्टर प्रणाली से ही भर्तियां करने के पक्ष में है।”
गौरतलब है कि कुछ विपक्षी दलों ने उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी 13 सूत्री रोस्टर के बजाय 200 सूत्री रोस्टर को वापस लेने के लिए अध्यादेश या विधेयक लाने की मांग की है। उनकी दलील है कि रोस्टर प्रणाली से एस, एसटी और ओबीसी का आरक्षण प्रभावित होगा।