सीए शालिनी राजवंशी ने बताया कि जब उन्होंने १९८९ में सीए कोर्स किया था, तब जयपुर में दो ही महिला सीए थीं। उस दौर में सीए प्रोफेशन को मेल डोमिनेटेड प्रोफेशन माना जाने के कारण मुझे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन प्रेक्ट्सि के दौरान ही हम दोनों ने यह सोचा था कि हमारे बच्चे भी इस प्रोफेशन से जुड़ें। हमारा यह सपना आज पूरा हो गया है।
पहले अटेम्प्ट में दोनों ग्रुप किया क्लीयर सीए अभिषेक ने बताया कि उन्होंने सीए फाइनल एग्जाम में दोनों ग्रुप का एग्जाम साथ दिया था। फैमिली गाइडेंस के चलते पहले अटेम्प्ट में ही दोनों ग्रुप क्लीयर कर अब सीए बन चुका हूं। आपको बता दें कि ज्यादातर स्टूडेंट्स एक एक ग्रुप कर परीक्षा देते हैं और बहुत ही कम स्टूडेंट्स ऐसे होते हैं जिनके पहली बार में दोनों ग्रुप क्लीयर हो जाते हैं।
शादी में भी प्रोफेशन से जुड़ी टॉक सीए शालिनी बताती है कि हमारी शादी के दौरान भी हमारी बातों में प्रोफेशन से जुड़ी बात ज्यादा होती थीं। मेरे हसबैंड अपने वर्क और प्रोफेशन को लेकर काफी पैशनेट हैं, शायद यह भी एक वजह बनी, जिसने हमारे बच्चों को इस प्रोफेशन में आने के लिए प्रभावित किया।