एसईओ की फुल फॉर्म सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (Search Engine Optimisation) है। वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ाने के लिए सर्च इंजन बहुत महत्वपूर्ण है। एसईओ स्टॉफ के सामने एक ही चुनौती होती है कि उनकी वेबसाइट सर्च इंजन (उदाहरण के लिए Google, Bing, Yahoo, आदि) की सर्चेज में पहले पेज पर रहे। जितना वो इस उद्देश्य में कामयाब होंगे, उतना ही उनका प्रोडक्ट बिकेगा।
किसी भी डिजीटल कंपनी के लिए दो ही चीजें महत्वपूर्ण होती है, पहला कंटेंट और दूसरा एसईओ स्टॉफ। दोनों एक-दूसरे से इतना अधिक जुड़े हुए हैं कि इन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता। कंटेंट के आधार पर ही एसईओ वेबपेज को प्रमोट करने के लिए स्ट्रेटेजी बनाता है। इसके लिए उसे बेसिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आनी चाहिए, अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हो और कंटेंट को समझ सकता हो, उसे एडिट करने की योग्यता हो।
किसी भी वेबसाइट पर दो तरह से एसईओ किया जाता है, (1) ऑन पेज एसईओ, (2) ऑफ पेज एसईओ, दोनों में ही कंटेंट पर फोकस किया जाता है परन्तु इनमें कुछ बेसिक अंतर होते हैं।
सबसे पहले चीज तो यही होती है कि अच्छा कंटेंट लिखवाया जाए, उसमें पर्याप्त मात्रा में कीवर्ड्स (जिन वर्ड्स से लोग गूगल में सर्च करते हैं) का प्रयोग हो, गूगल फ्रेंडली यूआरएल हो, इमेज पर कीवर्ड्स व कंटेंट की इन्फॉर्मेशन हो। इसके बाद उस वेबसाइट को गूगल में लिस्ट करवाना होता है। यूजर्स किस वर्ड पर सबसे ज्यादा सर्च कर रहे हैं, उन पर कंटेंट लिखवाना होता है।
दुनिया भर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को प्रमोट करवाना ऑफ पेज एसईओ में आता है। इसके अन्तर्गत वेबसाइट के लिए बुकमार्किंग वेबसाइट् पर लिस्टिंग करवानी होती है, दूसरी वेबसाइट्स पर गेस्ट पोस्ट के लिए लिंक बिल्डिंग करनी होती है, वेबसाइट का ब्लॉग डायरेक्ट्री में सब्मिशन करवाना होता है।