अच्छा काम करें
इंटर्न को यह नहीं सोचना चाहिए कि उसे कुछ समय के लिए यहां काम करना है। इसलिए बेस्ट आउटपुट के जरिए वर्कप्लेस पर पहचान बनाएं। श्रेष्ठ कामों का रेकॉर्ड मेंटेंन करें। काम के दौरान आने वाली परेशानियों का ब्यौरा तैयार करें। यहां मिलने वाली चुनौतियों, रिसोर्सेज, टाइम लाइन, प्लानिंग आदि के बारे में अपने सीनियर को अपडेट कराएं। कामों का डेटा तैयार रखें ताकि कोई पूछे तो तुरंत दिखा सकते हैं।
कंपनी का कल्चर जानें
हर कंपनी का नियम होता है। आपको सबसे पहले उसको पता करना और पालन करना चाहिए। ऑफिस के अपने विजन और नियम होते हैं। उन्हें समझें। आप देखें कि दूसरे कैसा बर्ताव कर रहे हैं। आपकी इंटर्नशिप तीन महीने से कम की है, तो छुट्टी की डिमांड न करें। वर्कप्लेस पर होने वाली मीटिंग्स पर नजर रखें। सीनियर्स को पसंद नहीं होता है कि ट्रेनी ऑफिस की पॉलिटिक्स में शामिल हो अतः इससे बचें।
टारगेट तय कर आगे बढ़ें
जहां पर इंटर्नशिप करते हैं तो इसका बात का ध्यान रखें कि कंपनी आप से क्या उम्मीद रखती है और आपका अपना टारगेट किया है। हमेशा एक टारगेट के साथ इंटर्नशिप को जॉइन करना चाहिए। इसलिए जरूरी है कि जॉइनिंग से पहले ही वहां जाकर खुद का परिचय कराएं। इससे आप सार्थक प्रभाव छोड़ सकेंगे। इस दौरान सवाल पूछने में न हिचकिचाएं। इंटर्नशिप में अधिक से अधिक काम से जुड़ी हुई चीजों जानने की कोशिश करें।
अधिक सीखें
इंटर्नशिप का एक ही नियम होता है, ज्यादा काम करेंगे तो ही अधिक सीख पाएंगे। इसलिए यह जरूरी है कि हर वक्त आपके पास काम हो। ऐसा नहीं है, तो आप काम की डिमांड करें। यह कठिन जरूर है, लेकिन इससे आगे बढऩे और सीखने को भी मिलेगा। इंटर्नशिप के दौरान आप समय से पहले ऑफिस पहुंचें और देर तक वहां वक्त बिताएं। तभी आप ज्यादा लोगों के संपर्क में रह सकेंगे।
कंपनी की नजर में रहें
इंटर्नशिप का चुनाव करने के समय मनी माइंडेड न रहें। कंपनियां कम पैसे या फिर बिना सैलरी के इंटर्नशिप देती हैं तो अफसोस न करें। आपका पूरा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि कंपनी की नजर में आप कैसे आ सकते हैं। अवसर का लाभ उठाने की कोशिश करें। यह ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपके विकल्प भी खुल रहे होते हैं। अच्छी नौकरी मिल सकती है।