गौरतलब है कि वर्ष 2012 से 2017-18 तक 70-80 फीसदी भर्तियों में विवाद रहा। किसी में प्रश्नपत्र को लेकर तो किसी में आरक्षण संबंधी तो किसी में कटऑफ को लेकर। ऐसे में ज्यादातर भर्तियां कोर्ट में अटकी रहीं। 70 से 80 फीसदी भर्तियां तय समय पर पूरी नहीं हो पाई। यहां तक कि 2012 व 2013 की तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती तो पिछले वर्ष पूरी हो पाई। RAS 2016 में भी खूब विवाद हुआ।
क्या होती है कैवियट
न्यायालय किसी भी एक पक्ष की दलील सुनकर मामले पर स्टे न दे दें, इसके लिए दूसरा पक्ष पहले ही कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है। इसे कैवियट कहते हैं। यानी संबंधित मामले में कोई भी केस आता है तो दूसरा पक्ष भी सुना जाए।
परीक्षाओं को लेकर काफी याचिकाएं दाखिल हो रही हैं। एक पक्षीय तौर पर सुनकर परीक्षा प्रक्रिया न रूक जाएं, इसके लिए RPSC के निर्देश पर कैवियट दाखिल की है ताकि न्यायालय में आरपीएससी का पक्ष रखा जा सकें।
एम.एफ बेग, अधिवक्ता, RPSC