964 एससी श्रेणी के खाली पद
2091 स्वीकृत
518 एसटी श्रेणी के खाली पद
1011 स्वीकृत
1238 ओबीसी श्रेणी के खाली पद
1238 स्वीकृत
केंद्रीय विश्वविद्यालयों के खाली पद दशकों से भरे नहीं गए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अप्रैल, 2017 में विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के लिए यूनिवर्सिटी के बदले विभागवार नियुक्ति को मानने का फैसला किया था। इस फैसले का दलित और पिछड़े वर्गों ने विरोध किया था जबकि सरकार ने भी माना था कि अगर इस फैसले को लागू किया जाता है तो अगले 100 सालों में भी आरक्षित वर्ग के लोगोंं में से कोई विश्वविद्यालयो में कोई प्रोफेसर नहीं बन पाएगा। इस फैसले के बाद से एससी, एसटी, ओबीसी के खाली पदों का बैकलॉग और बढ़ गया। पिछले दो साल से ज्यादा समय से विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया ठप पड़ी है। सरकार ने कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए 7 मार्च 2019 को अध्यादेश लार्ई थी।
सरकार ने शुक्रवार को अध्यादेश की जगह बिल भी लोकसभा से पास करा दिया। इसके बाद इन खाली पदों के भरने की उम्मीद जगी है। हालांकि राजनीतिक दलों का आरोप है कि अभी भी कई विश्वविद्यालयों भर्ती में 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली को खत्म कर 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली (Roster system) लागू करने के सरकार के फैसले को नहीं मान रहे हैं।