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अग्निवीर भर्ती : इस तरह समझें फिटनेस टेस्ट की तैयारी को

अग्निवीर (Agniveer) बनने के लिए फिजिकल फिटनेस टेस्ट (Physical Fitness Test) जरूरी हिस्सा होने के साथ स्कोरिंग स्टेप (Scoring Step) भी है। इसलिए अग्निवीर (Agniveer Candidates) बनने वाले कैंडिडेट्स को शारीरिक रूप से स्ट्रॉन्ग होना जरूरी है। जानिए, यह क्यों जरूरी है और इसकी तैयारी के लिए कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए…

Dec 12, 2022 / 04:21 pm

जमील खान

Indian Armed Forces Medical Fitness Test

Indian Armed Forces Medical Fitness Test

सैन्य बल (Indian Armed Forces) में अग्निवीर (Agniveer) बनने के लिए फिजिकल टेस्ट (Physical test) अनिवार्य है। यह कैंडिडेट की शारीरिक क्षमता और सहनशीलता को जांचने का काम करता है। सेना के तीनों ही अंगों में फिजिकल फिटनेस टेस्ट एक जैसे ही हैं, लेकिन महिलाओं और पुरुषों के लिए उसके मानक अलग हैं। अग्निवीर बनने के लिए फिजिकल फिटनेस टेस्ट जरूरी हिस्सा होने के साथ स्कोरिंग स्टेप भी है। इसलिए ऐसे कैंडिडेट्स को शारीरिक रूप से स्ट्रॉन्ग होना जरूरी है। बॉडी को चंद घंटों में फिट नहीं बनाया जा सकता। एक कहावत मशहूर है कि ‘प्रैक्टिस ही इंसान को परफेक्ट बनाती है। इसलिए फिजिकल फिटनेस टेस्ट से 3-4 महीने पहले से इसकी तैयारी में जुट जाएं ताकि शरीर को इसके लिए तैयार कर सकें। जानिए, फिटनेस टेस्ट के अलग-अलग हिस्सों में कैंडिडेट को क्या करने को कहा जाता है, उससे क्या मायने हैं और उसकी तैयारी कैसे करें…

जिग-जैग बैलेंस (Zig-Zag Balance)
क्यों जरूरीं: इसके जरिए बॉडी का बैलेंस देखा जाता है। कैंडिडेट की कोर मसल्स, लोअर बैक और पैरों की मजबूती जांचते हैं।

कैसे करें तैयारी: 18 फीट लम्बे, 3 इंच चौड़े और जमीन से 1.5 से 2 फीसदी ऊंचे लकड़ी के बार पर कैंडिडेट को बैलेंस करके चलना होता है, वो भी बिना सहारे के। अत: इसी तरह बॉडी बैलेंस की प्रैक्टिस करें।

लम्बी-ऊंची कूद (Long-High Jump)
क्यों जरूरीं: 10 फीट की लम्बी कूद और 3 फीट की ऊंची कूद के लिए पैरों की मजबूती के साथ कूदने के बाद पैरों का बैलेंस दिखना जरूरी होता है।

कैसे करें तैयारी: इनके लिए पैरों की स्ट्रेंथ के साथ बॉडी को वॉर्मअप होना भी जरूरी है।

उठक-बैठक (स्क्वाट) (Sqwat)
क्यों जरूरीं: लोअर बॉडी की स्ट्रेंथ का पता लगाने के लिए यह होता है।

कैसे करें तैयारी: शुरुआती दौर में प्रैक्टिस ऐसे करें मानों आप कुर्सी पर बैठ रहे हों। इसके लिए कम ऊंचाई वाले बॉक्स का प्रयोग करें। इसे कैसे करना है ड्डद्दठ्ठद्बश्चड्डह्लद्ध1ड्ड4ह्व. ष्स्रड्डष्.द्बठ्ठ पर जाकर देख सकते हैं।

1.6 किमी की दौड़ (1.6 KM running)
क्यों जरूरी: रनिंग के जरिए कैंडिडेट की एरोबिक फिटनेस और पैरों की मसल्स की सहनशीलता को जांचा जाता है। यह दौड़ बिना किसी मदद से पूरी करने होती है और कम से कम समय में पूरी करनी होती है।

कैसे करें तैयारी: दौड़ के लिए स्टेमिना और पैरों की स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए हेल्दी डाइट लें। डिनर हल्का लें। पानी की कमी न होने दें। रनिंग से पहले स्ट्रेचिंग के जरिए वॉर्मअप करें। रनिंग की शुरुआत थोड़ी दूरी से करें। फिर धीरे-धीरे दूरी 3 किलोमीटर तक बढ़ाएं। रनिंग की प्रैक्टिस ट्रैक, सड़क और मैदान तीनों जगह करें। दौड़ते समय मुंह को बंद रखें और नाक से ही सांस लें। ग्रुप में न दौड़ें।

पुलअप्स (Pullups)
क्यों जरूरीं: इससे कैंडिडेट के हाथों और पीठ के हिस्से की मांसपेशियों की मजबूती को जांचा जाता है। साथ ही यह पता चल पता है कि हाथ पूरे शरीर को कितना सपोर्ट करते हैं।

कैसे करें तैयारी: जो कैंडिडेट इसकी प्रैक्टिस नहीं करते वो इसे नहीं कर पाएंगे। टेस्ट से पहले इसकी प्रैक्टिस करें। अगर यह मुश्किल लग रहा है तो हाफ पुलअप्स करें। ध्यान रखें प्रैक्टिस के दौरान रॉड पर पकड़ बनाते समय शरीर ऊपर ले जाएं और ठोड़ी को रॉड तक छुआएं, जब तक कोहनी सीधी न हो जाएं।

बेंट नी सिट-अप्स (Bent knee sit-ups)
क्यों जरूरीं: यह पेट की और हैमस्ट्रिंग्स की मजबूती को दिखाता है। ज्यादातर कैंडिडेट के कमर से ऊपरी हिस्से का वजन ज्यादा होने के कारण वो इसमें फेल हो जाते हैं। इसलिए अल्टरनेट इसकी प्रैक्टिस करें।

कैसे करें तैयारी: पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। हाथों को उंगलियों सिर के नीचे लॉक करें। अब घुटनों को 90 डिग्री तक मोड़ें। पैरों को जोड़े रखें। ध्यान रखें शुरुआती दौर में इसे उतना करें जितने में कंफर्टेबल महसूस करें और पैरों को माथे से टच करने की कोशिश करें। एडिय़ों को जमीन से जुड़ा हुआ रखें।

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