शुक्ल ने कहा, जिन्होंनेे मुद्रा योजना के तहत 50,000 रुपये का कर्ज लिया है वह तो दूसरे को नौकरी देने की स्थिति में नहीं होंगे, लेकिन जिन्हें पांच लाख या दस लाख रुपये का कर्ज मिला है वे अपने व्यवसाय में दूसरे को भी नौकरी दे सकते हैं। केंद्र सरकार ने आठ अप्रेल, 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की शुरुआत की थी, जिसके तहत छोटे उद्यमियों को व्यवसाय के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने कहा कि यह जो संस्कृति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विकसित की उससे इज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भारत 23 अंक की उछाल के साथ विश्व रैंकिंग में 77वें पायदान पर आ गया।
शिव प्रताप शुक्ल यहां जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। संस्थान की ओर से ‘भारत 2.0 आर्थिक नीति परिकल्पना : संभावना व चुनौतियां’ विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। उन्होंने नोटबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि नोटबंदी से लोगों की तिजोरियों का पैसा बैंक में आ गया जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिली। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में भारत की विकास दर 6.6 फीसदी थी जो बीती तिमाही में बढ़कर 8.2 फीसदी हो गई।
जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, इंदिरापुरम के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया ने इस मौके पर भारत के आर्थिक विकास पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत विश्व की महाशक्ति बनने की दिशा में प्रगति के पथ पर अग्रसर है। जयपुरिया ने कहा कि उनके संस्थान से पढ़कर निकले प्रबंधन के पेशेवरों को बैंङ्क्षकंग, रिसर्च, मार्केटिंग, बीमा और स्टार्टअप के क्षेत्र में प्लेसमेंट मिल रहा है।