वन विभाग के पास ना स्थाई पशु चिकित्सक ना ही ट्रेंकुलाइजर गन
पचलंगी. जिले में बड़े पैमाने पर फैला वन क्षेत्र, दो पैंथर सफारी, लेकिन यहां पर वन विभाग के पास वन्य जीवों के इलाज के लिए स्थाई पशु चिकित्सक नहीं है। प्रतिनियुक्ति पर लगाए पशु चिकित्सक भी अपने मूल विभाग में जाने से यहां पशु चिकित्सक का पद कई दिनों से खाली पड़ा है। यहां तक की रेस्क्यू करने व इलाज से पूर्व जानवर को बेहोश करने के लिए काम आने वाली ट्रेंकुलाइजर गन भी नहीं है। यदि ऐसी कोई आपदा आ जाए तो चिकित्सक व ट्रेंकुलाइजर गन जयपुर से ही मंगवानी पड़ती है। जो यहां के वन क्षेत्र से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी से आते हैं।
बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा कर किया अंतिम संस्कार –
घटना की सूचना पर उपवन संरक्षक झुंझुनूं बनवारी लाल नेहरा मौके पर पहुंचे। मृत मादा पैंथर को उदयपुरवाटी इंद्रपुरा नर्सरी में लाया गया । उदयपुरवाटी ब्लॉक पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मिट्ठू मीणा, डॉ. सुरेंद्र कुमार सैनी इंद्रपुरा, डॉ. विनोद कुमार गुर्जर पचलंगी, रोहिताश जेफ रघुनाथपुरा सहित अन्य पशुपालन विभाग के चिकित्सकों की टीम ने मृत पैंथर का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम के बाद उच्च प्रशासन के अधिकारियों, पुलिस प्रशासन, वन विभाग के उच्च अधिकारियों, ग्रामीणों व पशुपालन विभाग की चिकित्सा टीम की उपस्थिति में दफना दिया गया।
पैंथर की मौत के कारणों का नहीं लगा पता –
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी पैंथर की मौत के कारणों का पता नहीं लग पाया। घटनास्थल मौके से जुटाए सबूत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट सहित अन्य साक्ष्यों के आधार पर आगे की जांच की जाएगी। जांच में ही मादा पैंथर की मौत के कारण का पता लग पाएगा। 2 वर्ष का मादा पैंथर घायल मिली थी। उपचार के लिए डॉक्टरों को बुलाया गया। लेकिन इलाज शुरू होने से पहले पैंथर ने दम तोड़ दिया। मेडिकल बोर्ड से पैंथर का पोस्टमार्टम करवा कर नियमानुसार अंतिम संस्कार किया गया। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि मादा पैंथर बीमार थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट व अन्य साक्ष्यों के आधार पर पैंथर की मौत के कारणों की विस्तृत जांच की जा रही है।
-बनवारी लाल नेहरा, उपवन संरक्षक वन विभाग झुंझुनूं।