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झुंझुनू

राजस्थान के इस गांव पर सभी को नाज, हर दूसरे घर में फौजी

करीब 567 घरों वाले इस गांव में 360 से भी अधिक फौजी देश सेवा कर वापस आ गए। जबकि 48 जवान अभी कार्यरत हैं। हर साल बड़ी संख्या में युवा सेना भर्ती में शामिल होते हैं। जज्बा ऐसा है कि हर दिन युवा सुबह चार बजे ही उठकर सेना भर्ती के लिए दौड़ व अन्य कसरत करने में जुट जाते हैं।

झुंझुनूJul 27, 2020 / 10:27 pm

Rajesh

राजस्थान के इस गांव पर सभी को नाज, हर दूसरे घर में फौजी

राजस्थान के इस गांव पर सभी को नाज, हर दूसरे घर में फौजी

अनुज शर्मा
बगड़. झुंझुनूं जिले के बगड़ कस्बे से करीब चार-पांच किलोमीटर दूर छोटा सा गांव कालीपहाड़ी। यहां जर्रा-जर्रा लाडलों की वीरता की गाथा गाता है। इस गांव की विशेषता है कि यहां के हर दूसरे घर में फौजी है। कई घर तो ऐसे हैं जहां एक ही परिवार में दो से अधिक फौजी हैं। जो देश के अलग-अलग हिस्सों में ड्यूटी देकर अपना फर्ज निभा रहे हैं। गांव के पास में ही पहाड़ी है, जिसका रंग काला है। किवंदती है कि पहाड़ी के रंग के कारण ही गांव का नाम कालांतर में कालीपहाड़ी हो गया।
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करीब 567 घरों वाले इस गांव में 360 से भी अधिक फौजी देश सेवा कर वापस आ गए। जबकि 48 जवान अभी कार्यरत हैं। हर साल बड़ी संख्या में युवा सेना भर्ती में शामिल होते हैं। जज्बा ऐसा है कि हर दिन युवा सुबह चार बजे ही उठकर सेना भर्ती के लिए दौड़ व अन्य कसरत करने में जुट जाते हैं। गांव में सिपाही के अलावा मेजर, लेफ्टिनेंट व कर्नल सहित बड़े पदों पर भी अनेक युवा कार्यरत हैं। गांव के गंगासिंह शेखावत, नारायण सिंह, रूपसिंह, भगवंतसिंह, बन्नेसिंह, भगवानसिंह, लक्ष्मणसिंह आजादी से पूर्व की स्टेट फोर्स में शामिल रहे। इनके अलावा मानगार्ड, कोटा इनफेंट्री, गंगा रिसाला, ब्रिटिश इंडिया आर्मी में भी यहां के वीर सेवा दे चुके हैं। द्वितीय विश्व युद्ध में भी यहां के जवान अपनी वीरता दिखा चुके।

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भौमिया जी की मान्यता

गांव के गुवाड़ में भौमियाजी का मंदिर है। भाद्रपद की त्रयोदशी को यहां जागरण व चतुर्दशी को मेला भरता है। जिसमें पूरा गांव मंदिर में भोग लगाता है। गांव से जब भी कोई फौजी छुट्टी पूरी कर ड्यूटी पर जाता है या पहली बार नौकरी पर जाता है तो भौमियाजी मंदिर के धोक अनिवार्य रूप से लगाकर जाता है। मान्यता है कि भौमियाजी की कृपा के चलते गांव के किसी फौजी को जान नहीं गंवानी पड़ी।
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सेना के अलावा भी अन्य विभागों में कार्यरत

गांव में सेना के अलावा अन्य विभागों में भी युवा कार्यरत हैं। शिक्षक, प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य, जिला शिक्षा अधिकारी, उप निदेशक, आरएएस, आरपीएस, बैंक मैनेजर, डॉक्टर, कृषि अधिकारी, सहित अनेक विभागों में उच्च पदों पर भी गांव के युवा कार्यरत हैं।
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करगिल में धूल चटाई
जनवरी 1975 में फतेहाबाद में सिपाही के पद पर राजपूत सेंटर में भर्ती हुआ। ग्वालियर पीस एरिया में जाने के बाद चाईना बॉर्डर अरुणाचल प्रदेश में सेवा दी। श्रीनगर में करगिल में दुश्मनों को धूल चटाई। 2003 में पाकिस्तान बॉर्डर सांभा सेक्टर से सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त हुआ। मुझे हमारे गांव के भोमियाजी महाराज पर श्रद्धा है कि कभी वे मेरे या मेरे देश पर आंच तक नहीं आने देंगे।
प्रवीणसिंह,
सेवानिवृत सूबेदार मेजर, कालीपहाड़ी

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सेना में रहकर खेलों में नाम
वर्ष 1987 में सिपाही के पद पर 11 ग्रेनेडियर में भर्ती हुआ। सेना में रहते हुए खेल के क्षेत्र में एथलेटिक्स में शॉटपुट स्पर्धा में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक प्राप्त किए। 4 राष्ट्रीय व 32 बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व किया। संयुक्त राष्ट्र मिशन में भी इथोविया में एक वर्ष सेवा दी। सेना में अधिकांश समय सेना की ओर से खेलो में सर्विसेज स्पोट्र्स कंट्रोल बोर्ड की टीम का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया। 2015 में सेना से कप्तान के पद से सेवानिवृत्त हुआ। महाराणा प्रताप पुरस्कार भी मिला।
जयवीरसिंह शेखावत, रिटायर्ड कप्तान, कालीपहाड़ी

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आंकडों में गांव
कुल घर 567
जनसंख्या 1650
साक्षरता 70 फीसदी से ज्यादा
रिटायर्ड फौजी 360 से ज्यादा
वर्तमान फौजी 48
कुल फौजी 408 से ज्यादा

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