मैं भी दादा की तरह बनूंगी
राजेन्द्र पाल ने बताया, निशा Nisha kulhari rajasthanजब छोटी थी तब अपने दादा की बड़ी वर्दी पहन लेती थी। वह उसके काफी ढीली आती थी, फिर कहती थी आज नहीं तो एक दिन वह भी दादा की तरफ वर्दी जरूर पहनेगी। दुश्मनों को धूल चटाएगी। सेना की वर्दी पहनना उसका बचपन से सपना बन गया। निशा अपनी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान एथलीट रही है। इसके बाद वह हॉकी की भी खिलाड़ी रह चुकी। अब प्रमोशन होने पर सब कुछ सही रहा तो नॉन मेडिकल में पहली महिला ब्रिगेडियर बनने वाली महिलाओं में उसका भी नाम आ सकता है।
सीकर के कूदन में ससुराल निशा की 2007 में राजस्थान के सीकर जिले के कूदन गांव निवासी मेजर सुरेन्द्र सिंह से शादी हुई। सब कुछ सही चल रहा था लेकिन जून 2012 में कुपवाड़ा में आतंकियों ने पीछे से वार कर दिया। इस वार में मेजर सुरेन्द्र सिंह शहीद हो गए, उन्होंने भी दुश्मनों को मार गिराया था। बहादुरी के कारण उनको सेना पदक से सम्मानित किया गया। पति की शहादत के बाद पिता व मां त्रिवेणी देवी ने उसे हिम्मत दी। ऐसे में उसे मानसिक रूप से मजबूती मिली। कहती थी, अब नौकरी छोड़ूंगी नहीं, बल्कि पति के सपनों को भी मैं ही पूरा करूंगी। निशा ने पति की शहादत के बाद मिल्ट्री इंजीनियरिंग कॉलेज हैदराबाद से स्वर्ण पदक के साथ एमटेक किया।
हर क्लास में टॉपर निशा के पिता का गुजरात के वापी में कारोबार है। इसलिए बचपन की पढ़ाई भी गुजरात में हुई। वह पहली क्लास से लेकर कॉलेज तक टॉपर रही। निशा के दादा हरि सिंह फौज में सूबेदार थे। फौजी दादा के पद चिह्नों पर चलते हुए निशा 2002 में सेना में लेफ्टिनेंट बनी। पहली पोस्टिंग करगिल में मिली। फिर कुपवाड़ा व अन्य जगह सरहद की रक्षा करती रही। अब देश में पहली बार नॉन मेडिकल ब्रांच में वर्ष 2023 में महिलाओं को कर्नल बनाया गया तो पहले बैच की अधिकारी बनी। इनमें निशा को सेना के कमांडिंग ऑफिसर की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।