पानी: 00 फीट
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दो जिलों की सीमा में है कोट बांध उदयपुरवाटी. शाकंभरी जाने वाले रास्ते पर आने वाले कोट बांध का भराव क्षेत्र दो जिलों में आता है। कोट बांध का सामने का आधा भराव क्षेत्र झुंझूनूं जिले में तो पीछे का आधा भराव क्षेत्र सीकर जिले में आता है। कोट बांध की भराव क्षमता 25 फीट है। 25 फीट के बाद बांध पर चादर चलने लग जाती है। वर्तमान समय में गत वर्ष का कोट बांध में 13 फीट पानी बचा हुआ है। कोट बांध पर 2019 में अंतिम बार चादर चली थी। जिसके बाद गत वर्ष शाकंभरी क्षेत्र में अधिक बारिश नहीं होने से बांध पर चादर नहीं चली। कोट बांध में शाकंभरी की पहाडिय़ों में होने वाली बरसात का पानी आकर एकत्रित होता है। कोट बांध का असली नाम सरजू सागर बांध है। लेकिन कोट गांव के पास होने के चलते इसका नाम धीरे धीरे कोट बांध पड़ गया। बांध पर निवेदक कुमार प्रताप सिंह के नाम से लगी पट्टिका में सरजू सागर(कोट बांध) का निर्माण मानव गोत्र सूर्यवंशी शेखावत वंश खंडेला पाना बड़ा के महाराज हम्मीर भूप के राज्य में कोट ग्राम के पास विक्रस संवत 1981 में एक लाख रूपए की लागत से बनाया गया था। पट्टिका में लिखा है कि पहाड़ों से बहकर आने वाला पानी शाकंभरी माता की गंगा है। जिसमें पानी पीने वाले जानवरों का शिकार करना पाप है। नांगल ग्राम पंचायत के अधीन आने वाले कोट बांध में नहाना पूर्णतया प्रतिबंधित है। कोट बांध प्रसिद्ध होने से यहां दूर दराज क्षेत्र लोग परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। बारिश के मौसम में बांध पर चादर चलने के बाद यहां लोगों की काफी भीड़ रहती है।
वर्तमान में पानी- 13 फीट ———————————– काटली के बहाव में बने काल्यादह बांध को पानी का इंतजार
पचलंगी . इलाके के खण्डेला के पहाड़ों से चल कर आने वाली इलाके की लाइफ – लाइन कही जाने वाली काटली नदी के बहाव में झ्ंाुझुनूं – सीकर सीमा पर पचलंगी के काटलीपुरा में बना काल्यादह बांध अभी सूखा ही है। बांध को मानसून का इंतजार है ।
वर्तमान में पानी:00 फीट तांबी वाले बांध पर नहीं चली चादर
पचलंगी . इलाके के मणकसास गांव की पहाडिय़ों में बारिश के पानी के संग्रह के लिए सिंचाई विभाग ने तांबी वाले बांध का निर्माण किया था। गांव के रोशन लाल वर्मा, अशोक सेन सहित अन्य ने जानकारी दी कि बांध के आस – पास बने छोटे एनीकट व भराव क्षेत्र में विलायती कीकर होने के कारण पानी का संग्रहण नहीं हो पा रहा है।
वर्तमान में पानी: नाम मात्र