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Jhunjhunu soldier martyred: जल्द वापस लौटने का वादा कर गए तीन बच्चों के पिता शहीद, असम में तैनात थे, गांव में मचा कोहराम

Jhunjhunu soldier martyred : संजय भारतीय सेना में 5 ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात थे और वर्तमान में असम के लेखापाणी में ड्यूटी निभा रहे थे।

झुंझुनूDec 30, 2024 / 08:45 am

JAYANT SHARMA

Jhunjhunu Soldier Martyred: राजस्थान के झुंझुनूं जिले ने एक और वीर सपूत खो दिया है। खेतड़ी तहसील के चिरानी गांव के 29 वर्षीय संजय गुर्जर ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। संजय भारतीय सेना में 5 ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात थे और वर्तमान में असम के लेखापाणी में ड्यूटी निभा रहे थे।

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स्वास्थ्य बिगड़ने पर दिल्ली में हुआ इलाज

ड्यूटी के दौरान अचानक तबीयत खराब होने के बाद उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया। संजय को पहले असम में प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर उन्हें बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उपचार के दौरान उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है।
तीन बच्चों के पिता थे संजय

संजय अपने पीछे पत्नी ममता और तीन छोटे बच्चों को छोड़ गए हैं। उनकी छह वर्षीय बेटी कोनिका, चार वर्षीय बेटी तनिशा और दो वर्षीय बेटा हर्षित हैं। परिवार का भरण.पोषण करने वाले संजय अपने परिवार के लिए एक मजबूत सहारा थे। उनकी पत्नी ममता गृहिणी हैंए जो अब इस कठिन समय में अपने बच्चों के भविष्य की चिंता कर रही हैं।
गांव में शोक की लहर

संजय के शहीद होने की खबर सुनते ही गांव में मातम छा गया। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने एक सच्चे देशभक्त और साहसी जवान को खो दिया है। 20 दिन पहले ही संजय गांव आए थे, जब उनकी तबीयत बिगड़ी थी। इलाज के बाद वह ड्यूटी पर लौटे, लेकिन स्वास्थ्य ने उनका साथ नहीं दिया।
तिरंगा यात्रा के साथ अंतिम विदाई

संजय का पार्थिव शरीर दिल्ली से गार्ड ऑफ ऑनर के साथ रवाना किया गया। खेतड़ी पहुंचने के बाद, उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ गांव लाया जाएगा। सुबह निजामपुर मोड़ से चिरानी गांव तक भव्य तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। इसके बाद सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। संजय के पिता नथमल और मां कमला देवी को बेटे के जाने का गहरा दुख है, लेकिन उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ। संजय का बलिदान झुंझुनूं और पूरे राजस्थान के लिए प्रेरणा है। उनके परिवार और गांववासियों का कहना है कि उनका नाम हमेशा गर्व के साथ लिया जाएगा।

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