प्रदीप ने बताया कि जब वह कक्षा 9वीं में पढ़ रहा था तो व्याख्याता उम्मेद सिंह महला (वर्तमान में एडीइओ) प्रार्थना सभा में प्रेरक प्रसंग सुनाते थे। तभी ठान लिया था कि एक दिन मुझे भी गुरु के ही पदचिन्हों पर चलते हुए शिक्षक बनना है। महला ने दसवीं के बाद विषय चयन के लिए मागर्दशन किया। बीएससी में वह छात्र आंदोलन से जुड़ गया था, अनशन भी करने लगा, तब शिक्षक महला वापस पढ़ाई के सही ट्रेक पर लेकर आए। बीएड करवाने में सहयोग किया। इसके बाद रीट की भर्ती परीक्षा में गाइड किया। उन्हीं की मेहनत का नतीजा है कि
शिक्षक भर्ती में पूरे राजस्थान में पहली रैंक प्राप्त की।
सीकर के धोद के निकट अहीरों का बास में पहली नियुक्ति हुई तब भी शिक्षक महला साथ रहे। जम्मू – कश्मीर घुमाने के सवाल पर कहा कि लाल चौक पर तिरंगा लहराने की बातें केवल सुनी थी व टीवी पर देखी थी। शिक्षक महला कार्यक्रमों के दौरान इसका जिक्र करते थे। तब तय कर लिया था, जहां हजारों लाल शहीद हुए, उसी लाल चौक की माटी पर शिक्षक बनने के बाद गुरु को भ्रमण करवाऊंगा। प्रदीप ने बताया शिक्षक बनने के बाद पहला शिक्षक दिवस लाल चौक पर अपने गुरु के साथ मनाऊंगा।