क्या डीप फ्रीज खराब था?
इस घटना के बाद यह भी सवाल यह उठ रहा है कि क्या डीप फ्रीज खराब था। वरना इतनी देर रखने के बाद बचना मुश्किल हो जाता है। उसकी सांसे पूरी नहीं हुई थी
मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। यह आज फिर सिद्ध हो गई। पहले मरीज का उपचार, फिर मृत माना। फ्रीज में रखा। फिर पोस्टमार्टम, फिर चिता पर लेटाया। शरीर में हलचल। फिर उसी बीडीके अस्पताल में उपचार। अभी उसकी सांसे चल रही है। शायद ईश्वर की दी हुई सांसे पूरी नहीं हुई थी। उसकी उम्र अभी पूरी नहीं हुई थी।
रिपोर्ट में मौत का कारण भी लिखा
झुंझुनूं. बीडीके अस्पताल में जिंदा आदमी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ. नवनीत ने बनाई थी। पत्रिका को मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट नम्बर 223 के पहले पेज पर 1.50 मिनट पर मौत होना बताया गया है। वहीं नीेच की तरफ अंतिम कॉलम में रिमार्क ऑफ मेडिकल ऑफिसर में डॉक्टर की ओपीनियन लिखी हुई है। इसमें फेफडे फेल होना तथा सीओपीडी या टीबी की बीमारी से मौत होना बताया गया है। रिपोर्ट पर डॉ. नवनीत के हस्ताक्षर हैं व उसके नीचे मेडिकल ज्यूरिस्ट की सील भी लगी हुई है। इस बारे में डॉक्टरों का पक्ष लेना चाहा लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।