चिड़ावा में डिब्बाबंद मशीन, विशेषज्ञ नहीं
चिड़ावा उपखंड के किडनी मरीजों को उप जिला अस्पताल में डायलिसिस मशीन का फायदा नहीं मिल रहा है। यहां पर डायलिसिस मशीन तो है लेकिन जब से मशीन आई है, तब से डिब्बाबंद है और धूल फांक रही है। अस्पताल प्रबंधन इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सक की व्यवस्था करने में नाकाम साबित हो रहा है। इस कारण उपखंड के मरीजों को डायलिसिस के लिए निजी या दूसरे शहरों में जाकर सरकारी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है।
खेतड़ी में मशीन तो है लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं
खेतड़ी के राजकीय अजीत उप जिला अस्पताल में छह महीने पहले डायलिसिस मशीन लगाई गई। लेकिन अस्पताल में आज तक डायलिसिस के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। इस कारण किडनी मरीज को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। डायलिसिस के लिए मरीजों को अन्य शहरों में जाना पड़ता है।
नवलगढ़ में छह मशीनें, चार ही चालू
नवलगढ़ के राजकीय जिला अस्पताल में छह डायलिसिस मशीनें हैं। लेकिन जगह की कमी के कारण 4 मशीनें ही नियमित संचालित की जा रही हैं। पीएमओ डॉ. सुनील सैनी का कहना है कि अस्पताल भवन में दूसरी मंजिल का निर्माण कार्य चल रहा है। निर्माण पूर्ण होते ही बंद पड़ी 2 मशीनें भी लगाने के लिए स्थान उपलब्ध हो जाएगा।
सबसे बड़े बीडीके अस्पताल में मात्र दो मशीन
नवलगढ़ में छह मशीनें हैं जबकि जिले के सबसे बड़े राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल में मात्र दो डायलिसिस मशीन ही हैं। दोनों मशीनें यहां चालू हैं लेकिन जिले के ज्यादातर मरीज यहीं पर आते हैं, ऐसे में यहां मशीनें अन्य अस्पतालों से ज्यादा होनी चाहिए।
मलसीसर में तो मशीन ही नहीं
मलसीसर उपखंड में उप जिला अस्पताल संचालित है। लेकिन अस्पताल के पास डायलिसिस मशीन ही नहीं है। इसके अभाव में क्षेत्र के मरीजों को डायलिसिस कराने के लिए दूसरी जगह जाना पड़ता है।