गांव के सरपंच अनूप सिंह ने बताया कि रविवार को डॉ. कविता मील के पिता कमल सिंह को सेना मुख्यालय से सूचना मिलने पर वे राजौरी क्षेत्र में पहुंचे थे। जहां से मंगलवार सुबह परिजन को सूचना दी गई कि मेजर डॉ. कविता मील नहीं रही हैं। इस सूचना के बाद गांव में शोक की लहर है। कविता मील की पढाई केन्द्रीय विद्यालय झुंझुनूं में हुई। कविता ने वर्ष 2017 में आर्मी में बतौर डॉक्टर ज्वाइन किया था। इनके पिता कमल सिंह भी आर्मी में मेडिकल लाइन से रिटायर हैं। कविता के पति दीपक भी आर्मी में मेजर हैं जिनकी पोस्टिंग बीकानेर है। इस बारे में सूरजगढ़ एसडीएम ने बताया कि उनको कोई जानकारी नहीं है। मीडिया से ही पता चला है।
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कई फौजियों की जान बचाई
मेजर डॉ. कविता मील ने बड़े भाई का बीमारी के चलते वर्ष 2006 में निधन हो गया था। तब कविता महज 12 वर्ष की थी। भाई का इलाज कर रहे डॉक्टर से उसने कहा था कि आप मेरे भाई को नहीं बचा पाए, लेकिन मैं बड़ी होकर आप ही की तरह डॉक्टर बनूंगी। कोशिश करूंगी कि कभी किसी बहन के भाई की इस तरह मौत ना हो। बचपन में लिए इस प्रण को कविता ने पूरा भी किया और डॉक्टर बनी। झालावाड़ के से सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर डॉ. कविता मील आर्मी कोटा से सेना में ऑफिसर के रूप में भर्ती हुई। उसने अनेक फौजियों की जान भी बचाई, लेकिन फौजियों की जान बचाते-बचाते खुद हमेशा के लिए चिरनिद्रा में चली गई। ड्यूटी स्थल पर साथियों ने मेजर कविता अमर रहे के नारे गूंजते रहे।
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चार माह पहले शादी
तीस वर्षीय डॉ. कविता की शादी चार महीने पहले ही मेजर डॉ. दीपक के साथ हुई थी। जो बीकानेर में तैनात हैं। डॉ. कविता मील के पिता कमल सिंह भी सेना से रिटायर हैं। वे फिलहाल जखोड़ा में शिक्षक हैं। उनकी मां संतोष देवी गृहिणी है। उनकी बड़ी बहन पिंकी मलसीसर एसडीएम कार्यालय में कार्यरत है।