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Uttarkashi Tunnel Rescue: झांसी के 3 जांबाजों ने चीरा पहाड़ का सीना, 41 मजदूर निकालने में निभाई बड़ी भूमिका

Uttarkashi Tunnel Rescue: बुंदेलखंड के जांबाजों ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल से 41 मजदूर बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाई है। सुरंग बनाकर टनल में उतरे झांसी के परसादी, राकेश और भूपेंद्र। 16 दिन, साढ़े आठ घण्टे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मिली सफलता।

झांसीNov 29, 2023 / 09:19 am

Ramnaresh Yadav

Uttarkashi Tunnel Rescue

Uttarkashi Tunnel Rescue झांसी के तीन जांबाजों ने 41 मजदूर बचाए।

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी के सिल्क्यारा डडालगांव सुरंग गिरने से फंसे सभी मजदूरी को आखिरकार 16 दिन, 8 घंटे और 30 मिनट की अथक मेहनत के बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में झांसी के 3 जांबाज युवाओं का अहम योगदान रहा, जिन्होंने रैट माइनिंग कर मौत के मुंह में फंसे 41 श्रमिकों को नयी जिन्दगी दी।
देव दूत बनकर आए कंपनी के कर्मचारी

12 नवम्बर को जब पूरा देश दीपावली की रोशनी में नहाया था, तभी उत्तरकाशी के सिल्क्यारा- डण्डालगांव टनल में सुरंग खोद रहे श्रमिक टनल का एक हिस्सा गिरने से फंस गए। सुरंग इतनी संकरी और अंधेरी थी कि उन्हें बचाने के लिए कोई भी उपाय काम नहीं आ रहा था। रेस्क्यू करने वाली टीम एक प्लान बनाती तो उसके फेल होने पर दूसरी प्लान पर काम करती, लेकिन कामयाबी कोसों दूर थी। ऐसे में रेट स्पेनर्स (चूहा छेदन) कंपनी नवयुग के कर्मचारी देवदूत बनकर आए।

देशी पद्धति से सुरंग में किया छेद

उन्होंने देशी पद्धति से सुरंग में छेद कर श्रमिकों को बाहर निकालने का काम शुरू किया। मंगलवार की शाम लगभग 7.30 बजे पहला श्रमिक बाहर निकला। इसके बाद करीब पौने घंटे में सभी श्रमिक बाहर निकाल लिए गए। उन्हें सुरक्षित निकालने में झांसी के रेट स्पेनर्स परसादी लोधी, राकेश राजपूत व भूपेंद्र राजपूत का अहम योगदान रहा।

परसादी ने संभाली कमान

रैट स्पेनर्स रेस्क्यू की कमान झांसी में रहने वाले परसादी लोधी ने संभाली। लगभग 12 साल से दिल्ली और अहमदाबाद में रैट माइनिंग का काम कर रहे परसादी के सामने टनल में फंसे लोगों को निकालने का यह पहला अनुभव था, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया। उसने हिलटी हैण्ड ड्रिल मशीन को 800 मिमी के पाइप में ले जाकर ड्रिलिंग करते हुए मलबा निकालना शुरू किया। चूंकि, टनल में जाना उनके लिए बाएं हाथ का खेल था और वह 600 मीटर पाइप के अन्दर घुसकर भी रैट माइनिंग कर लेते थे, लिहाजा उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं आयी। लगभग 21 घंटे की मेहनत कर उनकी टीम ने 12 से 13 मीटर खुदाई की।
झांसी के राकेश ने दांव पर लगा दी जान

परसादी के साथ झांसी का ही राकेश राजपूत भी ट्रेंचलेस कम्पनि में पाइप पुाशिंग का काम करता है। उसका काम मलबा निकालने का है। उसने गैती और फावड़े की मदद से मलबा एकत्र किया और ट्रॉली में चढ़ाकर बाहर खींचा। पहले अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग कराई, लेकिन यह दगा दे गयी। इससे राकेश भी सुरंग में फंस गए। उनके वापस जीवित लौटने कौ उम्मीद कम हो गयी थी, लेकिन हौसला अडिग रहा। इसी बीच रैट माइनर्स ने मोर्चा संभाला। फिर क्या था परसादी का दिमाग और राकेश का हौसला काम कर गया और सभी श्रमिक सकुशल बाहर निकल आए। इसमें झांसी के ही भूपेन्द्र राजपूत ने भी सक्रिय योगदान दिया। मजदूरों को निकालने वाले दल में वह भी शामिल रहे।

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